Move to Jagran APP

बीत गये इकोनॉमी के बुरे दिन, अगली दोनों तिमाहियों में सकारात्मक रहेगी आर्थिक विकास दरः RBI

कोविड-19 ने दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत की इकोनॉमी को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है लेकिन अब शुभ संकेत मिलने लगे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का मानना है कि अर्थव्यवस्था का सबसे खराब दौर बीत चुका है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 11:23 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 01:42 PM (IST)
बीत गये इकोनॉमी के बुरे दिन, अगली दोनों तिमाहियों में सकारात्मक रहेगी आर्थिक विकास दरः RBI
तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर 6.8 फीसद और अंतिम तिमाही में 5.8 फीसद रहने का अनुमान लगाया है।

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। कोविड-19 ने दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत की इकोनॉमी को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है लेकिन अब शुभ संकेत मिलने लगे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का मानना है कि अर्थव्यवस्था का सबसे खराब दौर बीत चुका है। आरबीआइ के मुताबिक चालू वित्त वर्ष (2020-21) की पहली दो तिमाहियों में आर्थिक विकास दर में जो गिरावट हुई है वह अब नहीं दोहराया जाएगा। अंतिम दोनों तिमाहियों में आर्थिक विकास की दर के सकारात्मक बने रहने की संभावना जतायी गई है।

loksabha election banner

आरबीआइ गर्वनर डॉ. शक्तिकांत दास ने शुकवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए कहा कि अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में आर्थिक विकास दर 0.1 फीसद और जनवरी-मार्च की अंतिम तिमाही में 0.7 फीसद की विकास दर रहेगी। हालांकि, पूरे वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर शून्य से 7.5 नीचे रहेगी। पहले गिरावट की यह दर 9.5 फीसद रहने की बात कही गई थी।

दास ने कहा कि दूसरी तिमाही और मौजूदा तिमाही में अभी तक आर्थिक गतिविधियों से इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं कि रिकवरी की रफ्तार उम्मीद से बेहतर है। हर क्षेत्र में मांग में सुधार हो रही है। अर्थव्यवस्था के जिन क्षेत्रों में अभी तक सुस्ती थी वह भी तेजी से स्थिति बेहतर कर रहे हैं। हालांकि, इसके बावजूद महंगाई के मोर्चे पर हालात बहुत सुखद नहीं है। मौजूदा तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर  6.8 फीसद और अंतिम तिमाही में 5.8 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। 

यह दोनों आरबीआइ की तरफ से पूरे वर्ष के लिए तय 4 फीसद के लक्ष्य से ज्यादा है। अगले वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में भी महंगाई की दर के 4 फीसद से नीचे रहने के आसार नहीं हैं। इसका सीधा सा मतलब यह भी है कि बैंकिंग कर्ज के सस्ता होने की प्रक्रिया पर कम से कम अक्टूबर, 2021 तक ब्रेक लग गया है। यह इस बात का संकेत भी है कि अगले छह महीनों  ब्याज दरों में कुछ इजाफा भी हो सकता है। शुक्रवार को आरबीआइ ने रेपो रेट (होम लोन, आटो लोन जैसे सावधि कर्ज की दरों को प्रभावित करने वाली दर) को 4 फीसद पर स्थिर रखा गया है। यह लगातार तीसरी मौद्रिक नीति समीक्षा है जिसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.