Move to Jagran APP

RBI एक बार फिर ब्‍याज दरों में दे सकता है राहत, 5 दिसंबर को है मौद्रिक नीति समीक्षा

RBI साल 2019 के दौरान अब तक पांच बार नीतिगत दर में कटौती कर चुका है।

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 11:00 AM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 11:01 AM (IST)
RBI एक बार फिर ब्‍याज दरों में दे सकता है राहत, 5 दिसंबर को है मौद्रिक नीति समीक्षा
RBI एक बार फिर ब्‍याज दरों में दे सकता है राहत, 5 दिसंबर को है मौद्रिक नीति समीक्षा

नई दिल्ली, पीटीआइ। आर्थिक वृद्धि (Ecomnomic Growth) को रफ्तार देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 5 दिसंबर को नीतिगत दर में लगातार छठवीं बार कटौती कर सकता है। बैंकर्स और विशेषज्ञों ने यह बात कही। मैन्‍यूफैक्‍चरिंग के क्षेत्र में आई गिरावट के कारण जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर जुलाई-सितंबर की तिमाही में 4.5 फीसद पर आ गई है। यह जीडीपी ग्रोथ का छह साल से अधिक का न्यूनतम आंकड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक 2019 के दौरान अब तक पांच बार नीतिगत दर में कटौती कर चुका है।

loksabha election banner

नीतिगत दरों में अबतक 1.35 फीसद की हुई है कटौती : सुस्त पड़ती ग्रोथ रेट को बढ़ाने और फाइनेंशियल सिस्‍टम में धन उपलब्धता बढ़ाने के लिए नीतिगत दर में कुल मिलाकर 1.35 फीसद की कमी की गई है। वर्तमान में रेपो रेट 5.15 फीसद है। एक बैंकर ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि रिजर्व बैंक के गवर्नर ने पिछले दिनों कहा था कि जब तक इकोनॉमिक ग्रोथ रफ्तार नहीं पकड़ती तब तक ब्याज दरों में कटौती की जाएगी। इससे इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि 3 दिसंबर से शुरू होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर घटाई जा सकती है।

आईएचएस मार्किट के चीफ इकोनॉमिस्‍ट (एशिया प्रशांत) राजीव विश्वास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में दरों में कटौती के साथ मौद्रिक नीति को उदार बनाए रखने का फैसला किया था। इस स्थिति में आर्थिक मोर्चे पर सुस्ती रहने बनी रहने से नीतिगत दर में कटौती की संभावना है।'

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्‍त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि महंगाई अभी कम है और अर्थव्‍यवस्‍था की अतिरिक्‍त क्षमता को देखते हुए इसके नीचे ही बने रहने की उम्‍मीद है। उन्‍होंने कहा कि इस कारण रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है।

पीडब्‍ल्‍यूसी इंडिया के लीडर पब्लिक फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्‍स रनेन बनर्जी ने कहा कि दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े इस बात को स्‍पष्‍ट करते हैं कि मौद्रिक नीति के जरिये किया जा रहा हस्‍तक्षेप प्रसारित नहीं हो पा रहा है। इसलिए, आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक में एक बार फिर दरों में कटौती करना पर्याप्‍त नहीं होगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.