छोटी अवधि के बांड्स जारी कर रहा RBI, लंबी अवधि के बांड्स पर ब्याज दरों को कम करने की है कोशिश
अगर RBI इस तरह का आपरेशन ट्विस्ट आगे भी जारी रखता है तो यह 20 वर्ष या इससे ज्यादा अवधि के फिक्स्ड होम लोन या 10 वर्ष से ज्यादा अवधि के दूसरे लोन की दरों को कम करने में मदद करेगा
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कम अवधि की ब्याज दरों को रेपो रेट व अन्य वैधानिक दरों को घटाकर नीचे लाने की कोशिश के बाद केंद्रीय बैंक की नजर अब लंबी अवधि की ब्याज दरों पर है। इस उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो फॉर्मूला दूसरे बैंक आजमाते हैं उसे ही आरबीआइ ने भी अपनाया है। गुरुवार को आरबीआइ ने वर्ष 2029 में परिपक्व होने वाले 10 हजार करोड़ रुपये के बांड्स को खरीदने और वर्ष 2020 में परिपक्व होने वाले 10 हजार करोड़ रुपये के बांड्स जारी किए हैं।
आरबीआइ का यह फैसला लंबी अवधि के बांड्स पर ब्याज दरों को कम करेगा। अभी रेपो रेट और लंबी अवधि के बांड्स पर देय ब्याज दर का अंतर 1.50 फीसद के करीब है। इस बारे में केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी सूचना में कहा गया है कि इससे बाजार में तरलता की स्थिति बेहतर होगी। बैंकिंग सेक्टर में उक्त प्रक्रिया को ऑपरेशन ट्विस्ट के नाम से जाना जाता है।
लंबी अवधि के सरकारी बांड्स पर देय ब्याज दरों को घटा कर केंद्रीय बैंक लंबी अवधि के ब्याज दरों को कम करने का रास्ता साफ करते हैं क्योंकि सरकारी प्रतिभूतियों पर देय ब्याज दरों के आधार पर ही लंबी अवधि के कर्ज की दरों के लिए भी ब्याज दरों का निर्धारण होता है।
बैंकिंग सेक्टर के जानकारों का कहना है कि अगर आरबीआइ इस तरह का आपरेशन ट्विस्ट आगे भी जारी रखता है तो यह 20 वर्ष या इससे ज्यादा अवधि के फिक्स्ड होम लोन या 10 वर्ष से ज्यादा अवधि के दूसरे लोन की दरों को कम करने में मदद करेगा। इससे उद्योग जगत को भी लंबी अवधि के कर्ज मौजूदा दर से कम दरों पर मिलने की राह खुलेगी।