RBI ने बैंकों से पूछा क्यों नहीं घटा रहे ब्याज दर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को बैंक प्रमुखों से मुलाकात की।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को बैंक प्रमुखों से मुलाकात की। उन्होंने पूछा कि नीतिगत ब्याज दर घटने के बाद बैंकों के कर्ज की ब्याज दर घटने में देरी क्यों हो रही है। सूत्रों के मुताबिक बैठक में पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, आइसीआइसीआइ बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और आइडीएफसी फर्स्ट बैंक सहित कई बैंकों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया।
बैठक में शामिल एक बैंक प्रमुख ने कहा कि गवर्नर ने हमसे कहा है कि आरबीआइ जब नीतिगत ब्याज दर घटाता है, तो हमारे कर्जो की ब्याज दर घटनी भी जरूरी है, ताकि उपभोक्ताओं को लाभ मिल सके। एक अन्य बैंक प्रमुख ने कहा कि यह बैठक सिर्फ मौद्रिक नीति के प्रभावी हस्तांतरण पर ही केंद्रित था। हाल में आरबीआइ की नीतिगत ब्याज दर घटने के बाद सिर्फ दो बैंकों भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने अपने कुछ कर्जो की ब्याज दरों में मामूली 0.05 फीसद की कमी की।
बैठक में बैंक प्रमुखों ने गवर्नर को भरोसा दिलाया कि वे अगले महीने के एसेट लायबिलिटी कमेटी रिव्यू में अपनी कर्ज दरों पर विचार करेंगे। नीतिगत ब्याज दर घटने का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने में होने वाली देरी पर आरबीआइ और बैंकों का तकरार तत्कालीन गवर्नर डी सुब्बाराव के काल में शुरू हुआ था, जिन्होंने बीपीएलआर आधारित कर्ज दर की जगह जुलाई 2013 में बेस रेट को आधार बनाया था। इसके बाद भी जब बैंकों ने नीतिगत ब्याज दर में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों नहीं पहुंचाया, तो अगले गवर्नर रघुराम राजन ने बेस रेट की जगह अप्रैल 2015 में एमसीएलआर लागू की।
इसके बाद भी कर्ज दर में कटौती पर संतोषजनक प्रगति नहीं होने पर पिछले गवर्नर उर्जित पटेल ने पिछले साल कहा था कि इस साल अप्रैल से एक्सटर्नर बेंचमार्क आधारित कर्ज दर लागू होगी। पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में हालांकि दास ने इसके कार्यान्वयन को आगे खिसका दिया। इस महीने के शुरू में हुई मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में आरबीआइ ने मुख्य नीतिगत ब्याज दर रेपो दर को 25 आधार अंक घटाकर 6.25 फीसद कर दिया था। नए गवर्नर ने पहले कहा था कि कर्ज दर में कटौती का फैसला बैंकों पर निर्भर करता है और आरबीआइ सिर्फ दिशानिर्देश दे सकता है।