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EMI पर 3 माह की मोहलत का मुद्दा पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, बैंकों के इस अवधि में ब्याज लेने पर आपत्ति

साहनी ने EMI पर मोराटोरियम को लेकर आरबीआइ के सर्कुलर को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 12 Apr 2020 03:00 PM (IST)Updated: Sun, 12 Apr 2020 07:01 PM (IST)
EMI पर 3 माह की मोहलत का मुद्दा पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, बैंकों के इस अवधि में ब्याज लेने पर आपत्ति

नई दिल्ली, पीटीआइ। लोन की EMI के भुगतान को लेकर तीन माह की मोहलत से जुड़े आरबीआइ के सर्कुलर को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। अधिवक्ता अमित साहनी की ओर से दायर याचिका में इस सर्कुलर को आंखों में धूल झोंकने वाला बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि मोराटोरियम अवधि के दौरान ब्याज लगता रहेगा और इस तरह अतिरिक्त ब्याज देने का कोई मतलब नहीं बनता है। साहनी ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि वह केंद्र सरकार और आरबीआइ को यह व्यवस्था देने का निर्देश दे कि कोई भी बैंक या वित्तीय संस्था मोराटोरियम की अवधि का किसी तरह का ब्याज लोन लेने वाले से नहीं लेंगे। 

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उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बैंक ने पिछले महीने के आखिर में एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को लेनदारों को सभी तरह के टर्म लोन की EMI के भुगतान को लेकर तीन माह की मोहलत देने का निर्देश दिया था। 

केंद्रीय बैंक ने कहा था कि इस तरह के लोन के भुगतान के शेड्यूल को तीन माह के लिए आगे बढ़ा दिया जाएगा। हालांकि, मोराटोरियम अवधि के दौरान कुल बकाया राशि पर ब्याज लगता रहेगा।

RBI के इसी सर्कुलर को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। साहनी ने अपनी याचिका में न्यायालय से सरकार और आरबीआइ को मोराटोरियम की अवधि बढ़ाने पर विचार करने का निर्देश भी दिया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि इससे कोविड-19 की वजह से रोजगार गंवाने वाले लोगों को लॉकडाउन के बाद भी लोन के भुगतान के लिए थोड़ा समय मिल जाएगा।


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