RBI ने प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग के लिए 'को-ओरिजिनेशन मॉडल' का दायरा बढ़ाया; सभी NBFC कर सकते हैं बैंकों के साथ साझीदारी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को को-ओरिजिनेटिंग मॉडल के दायरे का विस्तार किया। इसके बाद हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां सहित सभी नॉन-बैंक लेंडर्स प्राथमिकता वाले क्षेत्र में कर्ज देने के लिए बैंक के साथ सहयोग कर पाएंगे।
मुंबई, पीटीआई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को 'को-ओरिजिनेटिंग मॉडल' के दायरे का विस्तार किया। इसके बाद हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां सहित सभी नॉन-बैंक लेंडर्स प्राथमिकता वाले क्षेत्र में कर्ज देने के लिए बैंक के साथ सहयोग कर पाएंगी। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 'को-लेंडिंग मॉडल' से इकोनॉमी के ऐसे सेक्टर्स को ज्यादा लोन मिल पाएगा, जिन्हें अब तक पर्याप्त क्रेडिट नहीं मिल पाया है। साल 2018 में RBI ने बैंक से को-ओरिजिनेशन के लिए एक फ्रेमवर्क बनाया था। इसके तहत कुछ खास श्रेणी की नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) को कुछ शर्तों के साथ बैंकों के साथ साझेदारी की अनुमति दी गई थी।
इसके साथ ही RBI ने आर्थिक गतिविधियों में हाउसिंग सेक्टर के काफी अधिक महत्व को देखते हुए होम लोन पर बैंकों के जोखिम संबंधी प्रावधानों में ढील देने का भी ऐलान किया। रिजर्व बैंक के इस फैसले से होम लोन लेने वालों के साथ-साथ लेंडर्स को काफी सहूलियत मिल जाएगी। जोखिम से जुड़े वेटेज में संशोधन किए जाने के बाद बैंकों को पूंजी की प्रोविजनिंग कम करनी होगी और वे ज्यादा होम लोन दे पाएंगे।
केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की द्विमासिक समीक्षा बैठक की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2022 तक मंजूर किए जाने वाले सभी होम लोन के लिए अब केवल कर्ज की राशि और आवासीय सम्पत्ति के मूल्य के अनुपात (एलटीवी) का मानदंड लागू होगा।
इससे पहले MPC ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को चार फीसद पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। केंद्रीय बैंक ने आर्थिक वृद्धि को मजबूती देने के लिए नीतिगत रुख को उदार बनाए रखा है। केंद्रीय बैंक के इस निर्णय के बाद शुक्रवार को शेयर बाजार में अच्छी-खासी तेजी देखने को मिली।