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नए गवर्नर दास के नेतृत्व में RBI बोर्ड की अहम बैठक, बाजार की टिकी नजर

अब तक केंद्रीय बैंक ने तरलता को लेकर सख्त नीति अपनाई है, जिसकी वजह से कमजोर बैंकों के कर्ज देने पर प्रतिबंध लगा हुआ है वहीं नॉन बैंकिंग फाइनैंशियल सेक्टर को भी बेल आउट देने से मना कर दिया है।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 10:59 AM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 10:59 AM (IST)
नए गवर्नर दास के नेतृत्व में RBI बोर्ड की अहम बैठक, बाजार की टिकी नजर
नए गवर्नर दास के नेतृत्व में RBI बोर्ड की अहम बैठक, बाजार की टिकी नजर

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। शक्तिकांत दास के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर बनने के बाद आज बोर्ड की अहम और बड़ी बैठक होने जा रही है। गवर्नर बनने के बाद सार्वजनिक बैंकों के प्रमुखों के साथ हुई बैठक में दास इस बारे में साफ संकेत दे चुके हैं कि वह सभी मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान निकालने के पक्ष में हैं और उनकी पूरी कोशिश केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता को बनाए रखने की होगी।

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खबरों के मुताबिक आज होने जा रही बोर्ड की इस बैठक में बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की तंगी को लेकर चर्चा हो सकती है। ऊर्जित पटेल के अचानक इस्तीफा दिए जाने के बाद सरकार ने दास को आरबीआई का नया गवर्नर नियुक्त किया था।

बोर्ड में मौद्रिक नीति बनाने वाले सदस्यों के अलावा, वित्त मंत्रालय और कारोबारी जगत के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। माना जा रहा है कि 18 सदस्यीय इस बोर्ड की बैठक में सरकार के उस प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है जिसमें केंद्रीय बैंक की निगरानी की बात कही गई है। इसके साथ ही जिन सरकारी बैंकों के कर्ज देने पर आरबीआई ने प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के तहत प्रतिबंध लगा रखा है, उसमें ढील दिए जाने को लेकर भी चर्चा हो सकती है।

अब तक केंद्रीय बैंक ने तरलता को लेकर सख्त नीति अपनाई है, जिसकी वजह से कमजोर बैंकों के कर्ज देने पर प्रतिबंध लगा हुआ है वहीं नॉन बैंकिंग फाइनैंशियल सेक्टर को भी बेल आउट देने से मना कर दिया है।  

19 नवंबर को हुई बोर्ड की बैठक में आरबीआई के लिए इकॉनमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ईसीएफ) को तय करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति के गठन पर सहमति बनी थी। 

गौरतलब है कि आरबीआई की रिजर्व पूंजी के एक हिस्से को सरकार को ट्रांसफर किए जाने को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। जून 2018 तक आरबीआई के पास 9.43 लाख करोड़ रुपये की रिजर्व पूंजी है। माना जा रहा है कि यह उन कई विवादित मुद्दों में से एक था, जिसकी वजह से ऊर्जित पटेल को इस्तीफा देना पड़ा।

इसके साथ ही 18 सदस्यीय बोर्ड पीसीए नियमों में ढील दिए जाने के बारे में विचार कर सकता है। कुल 21 सरकारी बैंकों में से रिजर्व बैंक ने इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, देना बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के कर्ज देने पर प्रतिबंध लगा हुआ है।

गुरुवार को दास ने कुछ सार्वजनिक बैंकों के प्रमुख के साथ बैठक की थी ताकि उनकी चिंताओं को दूर करने की कोशिश की जा सके। बैंकों ने इस मीटिंग में कर्ज देने पर लगे प्रतिबंध के मामले में राहत दिए जाने की अपील की। इसके साथ ही 12 फरवरी के उस सर्कुलर से भी राहत देने की कोशिश की गई, जो कर्ज भुगतान में एक दिन की देरी पर भी उसे एनपीए घोषित किए जाने का अधिकार देता है।

मोदी सरकार की कोशिश अगले आम चुनाव तक अर्थव्यवस्था को तेज गति से दौड़ाने की है। हाल ही में जो जीडीपी के डेटा आए हैं, उसने अर्थव्यवस्था की रफ्तार को लेकर आशंकाओं को पैदा किया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की रफ्तार पिछली तिमाही के 8.2 फीसद से घटकर 7.1 फीसद हो गई। नए गवर्नर कह चुके हैं कि केंद्रीय बैंक की पूरी कोशिश आर्थिक रफ्तार को गति देने की होगी।

हालांकि उनका यह बयान पूर्व गवर्नर ऊर्जित पटेल के उलट हैं, जिसमें उन्होंने पूरा ध्यान महंगाई को काबू में रखने पर लगाया था। दास की इस टिप्पणी के बाद बॉन्ड बाजार के साथ शेयर बाजार में भी तेजी आई है। बाजार को उम्मीद है कि दास के कार्यकाल में आने वाले दिनों में आरबीआई सख्त मौद्रिक नीति की राह छोड़ते हुए नरम नीति का रुख करेगा।

आर्थिक परिस्थितियां भी उसी तरफ इशारा कर रही है। खाने-पीने के सामानों की कीमतों में गिरावट के कारण खुदरा महंगाई दर नवंबर में 2.33 फीसदी रही, जबकि अक्टूबर में यह 3.38 फीसदी और सितंबर में 3.77 फीसदी रही थी। जुलाई 2017 के बाद महंगाई दर का यह सबसे निचला स्तर है। महंगाई दर में गिरावट को देखते हुए आरबीआई की तरफ से आने वाले दिनों में ब्याज दरों में कटौती किए जाने की उम्मीद बढ़ी है।

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