शहरी सहकारी बैंकों पर नकेल और कसी, आरबीआइ ने साइबर सिक्योरिटी संबंधी नियम लागू किये
अब आरबीआइ ने शहरी सहकारी बैंकों को सख्त निर्देश दिया है कि उन्हें अगले तीन वर्षो में अपने साईबर सिक्योरिटी नियमों को पूरी तरह से पुख्ता बनाना होगा और वे सारे इंतजाम करने होंगे ताकि अपने ग्राहकों को सुरक्षित अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिक आधारित सेवा दे सके।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पंजाब व महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमएस) में घोटाले के बाद शहरी सरकारी बैंकों पर नकेल कसने की जो प्रक्रिया शुरु हुई थी वह जारी है। दो दिन पहले ही संसद में इन बैंकों का नियंत्रण आरबीआइ को देने संबंधी विधेयक को मंजूरी मिली है। अब आरबीआइ ने शहरी सहकारी बैंकों को सख्त निर्देश दिया है कि उन्हें अगले तीन वर्षो में अपने साईबर सिक्योरिटी नियमों को पूरी तरह से पुख्ता बनाना होगा और वे सारे इंतजाम करने होंगे ताकि अपने ग्राहकों को सुरक्षित अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिक आधारित सेवा दे सके।
इस बारे में गुरुवार को आरबीआइ ने विस्तृत नियम जारी किये हैं। अभी हाल ही में केंद्रीय बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए ज्यादा से ज्यादा कर्ज कृषि, एसएमई जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को देन का नियम भी लागू किया है।
अभी तक शहरी सहकारी बैंकों पर दोहरा नियंत्रण होता था। एक आरबीआइ का और दूसरा राज्यों का। इन बैंकों को माडर्न बैंकिंग संस्थान बनाने के सारे प्रयास विफल हो रहे थे दूसरी तरफ समय समय पर इनमें कई तरह की खामियां भी सामने आ रही थी।
आरबीआइ ने अब कहा है कि यह शहरी सहकारी बैंकों के बोर्ड का दायित्व है कि वह साइबर सिक्योरिटी व्यवस्था को मजबूत बनाने संबंधी मानकों को लागू करने करे। इस बारे में वर्ष 2021 से वर्ष 2023 की सीमा तय की गई है। इसमें असफल होने वाले सहकारी बैंकों के खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है।
इसके तहत इन बैंकों को एक फंड बनाना होगा जिसका इस्तेमाल आइटी सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए होगा। अपने सभी हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर को सुरक्षित रखने के लिए, उनकी मॉनिटरिंग करने की एक व्यवस्था करनी होगी। साथ ही ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनके साथ होने वाली साइबर सिक्योरिटी संबंधी समस्या का समाधान का व्यवस्थित तरीका भी तैयार करना होगा।