कामथ समिति की रिपोर्ट स्वीकार, RBI ने बैंकों को दिए निर्देश, कोविड प्रभावित 26 उद्योगों को बड़ी राहत
आरबीआइ ने आटोमोबाइल रियल एस्टेट कंस्ट्रक्शन पावर एमएफसीजी होटल रेस्टोरेंट जैसे 26 औद्योगिक सेक्टरों के बकाये कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग का रास्ता साफ किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोविड-19 से प्रभावित देश के प्रमुख औद्योगिक सेक्टरों की हजारों कंपनियों पर बकाये बैंकिंग कर्ज की वसूली को लेकर RBI ने अपना फ्रेमवर्क जारी कर दिया है। यह फ्रेमवर्क के वी कामथ समिति की रिपोर्ट के आधार पर जारी की गई हैं। केंद्रीय बैंक ने सोमवार को कामथ समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया और इसके कुछ ही देर बाद रिपोर्ट के आधार पर किस तरह से उद्योग जगत को कर्ज अदाएगी में राहत देनी है और उनके बकाये कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग की करनी है इसका निर्देश भी बैंकों को जारी कर दिया है।
आरबीआइ ने आटोमोबाइल, रियल एस्टेट, कंस्ट्रक्शन, पावर, एमएफसीजी, होटल, रेस्टोरेंट जैसे 26 औद्योगिक सेक्टरों के बकाये कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग का रास्ता साफ किया है। समिति ने इन उद्योगों के लिए अलग अलग मानक तय किये हैं जिसके आधार पर उनके लिए कर्ज रिस्ट्रक्चरिंग की योजना तैयार करने की सिफारिश की गई है। आरबीआइ ने कहा है कि इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है।
कामथ समिति ने इन सेक्टरों को राहत देने के लिए बेहद तकनीकी फार्मूला तैयार किया है। इसमें कंपनियों के टोटल नेटवर्थ की तुलना में कुल बकाये कर्ज का अनुपात, कुल राजस्व के मुकाबले कुल ऋण, डेट सर्विस कवरेज रेशियो (मौजूदा कर्ज को भुगतान करने की क्षमता) और मौजूदा आय व ऋण भुगतान का अनुपात का ध्यान रखा जाएगा। हर सेक्टर की कंपनियों की प्रमुख कंपनियों के कोविड से पहले की माली हालत और कोविड के आर्थिक असर का अध्ययन करने के बाद ये अनुपात तैयार किये गये हैं।
वैसे आरबीआइ ने इस बारे में निर्देश जारी करते हुए बैंकों को यह भी कहा है कि वे अपने स्तर पर भी कंपनियों की हालत को देख कर फैसला कर सकते हैं। आरबीआइ ने बैंकों को कुल 26 सेक्टरों की सूची और उनके लिए उक्त अनुपातों का ब्यौरा दे दिया है। बैंकों में आरबीआइ के इस निर्देश को लेकर कोई खास उत्साह नहीं है। दैनिक जागरण ने कुछ बैंकों से बात की है जिनका कहना है कि ये बेहद तकनीकी हैं और इन्हें लागू करने में कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं। मसलन, आटो कंपोनेंट कंपनियों के लिए कहा गया है कि उन्हें कर्ज अदाएगी में राहत दी जाएगी जिनका कुल बकाये कर्ज के मुकाबले कुल राजस्व का अनुपात 4.50 फीसद के बराबर या इससे ज्यादा हो। लेकिन अगर किसी कंपनी का यह अनुपात 4.45 फीसद होगी तो क्या उसे बैंक यह सुविधा नहीं देंगे? बैंकों का कहना है कि वर्ष 2001 व वर्ष 2008-09 में भी बकाये कर्ज के रिस्ट्रक्चरिंग की योजना लागू की थी जो ज्यादा आसान थी। वैसे कंपनियों के कर्ज चुकाने की क्षमता का आकलन कोविड-19 से पहले की उसकी स्थिति के आधार पर करने को भी कहा गया है।
सनद रहे कि कोविड-19 के बाद आरबीआइ ने सभी तरह के सावधि कर्ज की अदाएगी पर 6 महीने के लिए मोरटोरियम लगा दिया था। यह अवधि 31 अगस्त को समाप्त हुई है। कारपोरेट लोन पर फैसला करने के लिए कामथ समिति गठित की गई थी। जबकि ऑटो लोन, होम लोन जैसी पर्सनल लोन स्कीमों पर फैसला करने की जिम्मेदारी बैंकों पर ही डाल दी गई थी।
माना जा रहा है कि इस बारे में बैंकों की तरफ से जल्द ही ऐलान किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में भी मोरेटोरियम पर मामला दायर है। कोर्ट के फैसले का भी इंतजार हो रहा है ताकि आगे की स्थिति स्पष्ट हो सके। पिछले हफ्ते कोर्ट ने सभी तरह के बकाये कर्ज को दो महीने तक एनपीए घोषित नहीं करने की बात कही थी। कामथ समिति की सिफारिशों के मुताबिक लोन रिस्ट्रक्चरिंग का फैसला करने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में फंसे कर्जे (एनपीए) में भारी वृद्धि की सूरत बन रही है।