भारत सबसे गंभीर मंदी का कर रहा सामना, 2020-21 में GDP में 5% संकुचन का अनुमानः Crisil
भारत 69 साल के इतिहास में तीन बार मंदी का सामना कर चुका है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रमुख रेटिंग एजेंसी Crisil ने मंगलवार को कहा कि भारत स्वतंत्रता के बाद से चौथी, उदारीकरण के बाद पहली और संभवतः अब तक की सबसे गंभीर मंदी की चपेट में है। एजेंसी ने कोरोनावायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के कारण चालू वित्त वर्ष में देश की इकोनॉमी में पांच फीसद के संकुचन का अनुमान जताया है। देश की जीडीपी को लेकर अपने आकलन में एजेंसी ने कहा है कि पहली तिमाही (अप्रैल से जून, 2020) के बीच अर्थव्यवस्था में 25 फीसद तक का भारी संकुचन देखने को मिल सकता है।
एजेंसी ने कहा कि देश को वास्तविक टर्म्स में 10 फीसद तक की जीडीपी का स्थाई रूप से नुकसान झेलना पड़ सकता है। ऐसे में अगले तीन वित्त वर्ष में महामारी से पहले की वृद्धि दर हासिल करने की संभावना बहुत कम है।
पिछले 69 साल में भारत में केवल तीन मौकों पर मंदी देखने को मिली है। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक भारत वित्त वर्ष 1957-58, 1965-66 और 1979-80 में मंदी का सामना कर चुका है। तीनों मौकों पर मंदी की वजह मॉनसून रहा, जिस वजह से कृषि प्रभावित हुई। देश की अर्थव्यवस्था में उस दौरान कृषि की हिस्सेदारी बहुत अधिक होती थी।
क्रिसिल का कहना है कि चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2020 से मार्च 2021) में मंदी पूर्व की तुलना में भिन्न है क्योंकि सामान्य मॉनसून मानकर चलें तो कृषि मौजूदा संकट को थोड़ा नरम बना सकती है।
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कोरोनावायरस लॉकडाउन पहली बार 25 मार्च को लागू किया गया था। अब तक इसे तीन बार बढ़ाया गया है और अभी यह 31 मई तक है। इस लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियों पर बहुत गंभीर असर देखने को मिला है।