तेज टीकाकरण और हेल्थ इन्फ्रा से निकलेगी रिकवरी की राह, चालू वित्त वर्ष में केंद्र की वित्तीय स्थिति पिछले साल से काफी मजबूत
मंत्रालय ने कहा कि टीकाकरण के मामले में राज्यों की स्थिति का जायजा लेने से पता चलता है कि असम बिहार उत्तर प्रदेश तमिलनाडु बंगाल और झारखंड में टीकाकरण की रफ्तार तेज करने की जरूरत है। रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर टीकाकरण की स्थिति पर चिंता जताई गई है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय अर्थव्यवस्था में टिकाऊ सुधार के लिए तेज गति से टीकाकरण और शहरी एवं ग्रामीण इलाके में हेल्थ इन्फ्रा का विकास सबसे अहम होगा। वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि सितंबर में त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले देश में टीके की 67 करोड़ डोज लग जाएंगी।
मंत्रालय ने कहा है कि टीकाकरण की गति को तेज करके और कोरोना से बचने के लिए जरूरी सतर्कता बरतकर तीसरी लहर के प्रभाव को कम किया जा सकता है। हालांकि, कोरोना से मुक्त होने के लिए वैश्विक स्तर पर टीकाकरण की जरूरत है।
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, जून में टीकाकरण की दैनिक औसत दर 41.2 लाख रही, जो मई की 19.3 लाख के मुकाबले दोगुनी है। इस हिसाब से सितंबर में त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले टीके की 67 करोड़ डोज लग जाने की उम्मीद है, जिससे घरेलू मांग को प्रोत्साहन मिलेगा।
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर अच्छी तस्वीर सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने अप्रैल व मई में केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति पिछले साल अप्रैल-मई के मुकाबले काफी बेहतर है। इस साल अप्रैल-मई में केंद्र का राजकोषीय घाटा 1.23 लाख करोड़ रहा, जो बजट अनुमान का सिर्फ 8.2 फीसद है। पिछले पांच साल में देखा गया है कि इन दो महीनों में घाटा अनुमान के औसतन 55.4 फीसद के आसपास हो जाता था।
चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में कर व गैर कर दोनों मदों से मिलने वाला राजस्व भी पिछले साल के मुकाबले अधिक है। अप्रैल-मई, 2021 में केंद्र को टैक्स के रूप में 2.34 लाख करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति हुई, जो सालभर पहले मात्र 33,850 करोड़ रुपये था। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, इस साल गैर कर राजस्व की प्राप्ति में पिछले साल अप्रैल-मई के मुकाबले 976.2 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
मंत्रालय ने कहा कि टीकाकरण के मामले में राज्यों की स्थिति का जायजा लेने से पता चलता है कि असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, बंगाल और झारखंड में टीकाकरण की रफ्तार तेज करने की जरूरत है। रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर टीकाकरण की स्थिति पर चिंता जताई गई है। अभी दुनियाभर में महज 24.7 फीसद आबादी को टीका लगा है। वहीं, कम आय वाले देशों में यह बमुश्किल एक फीसद ही है। ऐसे में टीके की उपलब्धता में असंतुलन दूर करने की जरूरत है।