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Raksha Bandhan 2021: राखी पर भारत ने चीन को दिया 5 हजार करोड़ रुपये का जबरदस्त झटका: CAIT

देश भर में पहली बार अनेक प्रकार की विशिष्ट राखियां बनवाई गई जिसमें नागपुर में बनी खादी की राखी जयपुर में सांगानेरी कला की राखी पुणे में खेती के बीज राखी मध्य प्रदेश के सतना में ऊन की राखी झारखंड के जमशेदपुर में आदिवासी वस्तुओं की राखी बनवाई गई।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 22 Aug 2021 12:12 PM (IST)Updated: Sun, 22 Aug 2021 12:12 PM (IST)
Raksha Bandhan 2021: राखी पर भारत ने चीन को दिया 5 हजार करोड़ रुपये का जबरदस्त झटका: CAIT
एक अनुमान के अनुसार कैट ने विभिन्न राज्यों के व्यापारिक संगठनों के सहयोग से करोड़ों राखियां बनवाई।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कोविड के प्रकोप के बावजूद पिछले वर्ष की तरह आज (रविवार को) भी रक्षाबंधन का त्योहार बेहद उत्साह के साथ देश भर में मनाया गया। हालांकि, पिछले कुछ साल से चल रहे अभियान का नतीजा यह रहा कि देशभर में बहनों ने भाई की कलाई पर भारत में बनी राखी ही बांधी और आम तौर पर चीन में बनी राखियों से परहेज किया। रिटेल कारोबारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने यह जानकारी दी है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की इस वर्ष हिन्दुस्तानी राखी के आह्वान के तहत देश के 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठनों ने देश भर के सभी शहरों में एक महीने में घरों में काम करने वाली महिलाओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं और स्लम बस्तियों में रहने वाली निचले वर्ग की महिलाओं सहित अन्य से हिन्दुस्तानी सामान से बनी राखियां बड़ी संख्या में बनवाई।

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देशभर के कारोबारियों ने भारतीय राखियां बनाकर चीन को 5 हजार करोड़ से ज्यादा का झटका दिया।

एक अनुमान के अनुसार कैट ने विभिन्न राज्यों के व्यापारिक संगठनों के सहयोग से करोड़ों राखियां बनवाई, जिन्हें उन्हीं संगठनों द्वारा व्यापारियों एवं उनके कर्मचारियों और आम लोगों को बाज़ारों में स्टाल लगाकर यह राखियां वितरित की गई। प्रति वर्ष देश में लगभग 50 करोड़ राखियों की मांग रहती है।

देश भर में पहली बार अनेक प्रकार की विशिष्ट राखियां बनवाई गई, जिसमें नागपुर में बनी खादी की राखी, जयपुर में सांगानेरी कला की राखी, पुणे में खेती के बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊन की राखी, झारखंड के जमशेदपुर में आदिवासी वस्तुओं की राखी, असम के तिनसुकिया में चाय की पत्तियों की राखी, कोलकाता में जूट की राखी, मुंबई में सिल्क की राखी, केरल में खजूर की राखी, कानपुर में मोती और बुंदों की राखी, बिहार में मधुबनी एवं मैथिली कला की राखी, पुडुचेरी में स्टोन राखी, बंगलौर में फूलों की राखी आदि प्रमुखता से बनाई गई। इससे अनेकता में एकता की भारत की अलग पहचान पूर्ण रूप से दिखाई दी।

इस श्रंखला के अगले चरण में कैट के इस वर्ष की दिवाली को पूर्ण रूप से " हिन्दुस्तानी दिवाली" के रूप में मनाने की घोषणा की है और इस बार दिवाली उत्सव में किसी प्रकार का कोई भी चीनी सामान उपयोग में नहीं लाया जाएगा।


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