Move to Jagran APP

देश के उत्पादकों को बढ़ानी होगी वैश्विक खिलौना बाजार में हिस्सेदारी, दुनिया को रसायन-युक्त खिलौनों से दिलाना होगा छुटकारा

मोदी ने कहा कि वर्तमान में दुनियाभर का खिलौना उद्योग करीब 10000 करोड़ डॉलर यानी लगभग 7.20 लाख करोड़ रुपये मूल्य का है। इसमें भारत की हिस्सेदारी नगण्य है। देश में खिलौनों की कुल मांग का करीब 85 फीसद आयात किया जा रहा है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 08:18 AM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 05:39 PM (IST)
देश के उत्पादकों को बढ़ानी होगी वैश्विक खिलौना बाजार में हिस्सेदारी, दुनिया को रसायन-युक्त खिलौनों से दिलाना होगा छुटकारा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी P C : ANI

नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत में दुनियाभर को ईको-फ्रेंडली खिलौनों की ओर वापस ले जाने की क्षमता है। इंडिया टॉय फेयर के प्रथम संस्करण का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने देश के खिलौना निर्माताओं को कम से कम प्लास्टिक और अधिक से अधिक ईको-फ्रेंडली या पर्यावरण हितैषी व पुनर्चक्रण (रिसाइकल) किए जाने वाले पदार्थो के उपयोग की सलाह दी।

prime article banner

उन्होंने कहा कि अगर हमारे देश के उत्पादकों को वैश्विक खिलौना बाजार में हिस्सेदारी बढ़ानी है तो उन्हें पर्यावरण-अनुकूल पदार्थो का अधिक से अधिक उपयोग करना होगा। खिलौनों के क्षेत्र में देश के पास परंपरा, तकनीक, विचार और स्पर्धात्मकता सब हैं। हमारे अंदर दुनिया को रसायन-युक्त खिलौनों से निजात दिलाने और उसे फिर से पर्यावरण हितैषी खिलौनों की ओर ले जाने की क्षमता है।

मोदी ने कहा कि वर्तमान में दुनियाभर का खिलौना उद्योग करीब 10,000 करोड़ डॉलर यानी लगभग 7.20 लाख करोड़ रुपये मूल्य का है। इसमें भारत की हिस्सेदारी नगण्य है। देश में खिलौनों की कुल मांग का करीब 85 फीसद आयात किया जा रहा है। हमें इस परिस्थिति को बदलने की जरूरत है। हमें इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ दुनियाभर की जरूरतों को पूरा करने लायक बनना होगा। वहीं, अपने सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के दम पर हम कंप्यूटर गेम्स के माध्यम से भारत की कहानियों-कथाओं को दुनियाभर में पहुंचा सकते हैं।

देश के परंपरागत खिलौना उद्योग की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि इसके माध्यम से देश के हस्तशिल्प को दुनियाभर में बढ़ावा दिया जा सकता है। अगर आज दुनियाभर में 'मेड इन इंडिया' उत्पादों की मांग है, तो निश्चित रूप से हस्तशिल्प उत्पादों की मांग भी उसी गति से बढ़ रही है। वर्तमान में लोग सिर्फ खिलौना नहीं खरीद रहे, वे उन खिलौनों से जुड़ी कहानियों में भी उतनी ही रुचि ले रहे हैं। ऐसे में हमें 'हैंडमेड इन इंडिया' यानी हाथ से बने भारतीय सामानों को भी बढ़ावा देना होगा। इसके साथ ही यह बहुत जरूरी है कि खिलौना निर्माता कंपनियां पर्यावरण और मनोविज्ञान दोनों की चिंता करें।

प्रधानमंत्री का कहना था कि सरकार ने खिलौना उद्योग को देश के 24 प्रमुख सेक्टर में स्थान दिया है। इसके तहत नेशनल टॉय एक्शन प्लान यानी राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना तैयार कर ली गई है। केंद्र सरकार के 15 मंत्रालय और विभाग इस उद्योग को स्पर्धात्मक और खिलौनों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने तथा भारतीय खिलौनों को दुनियाभर में पहुंचाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। 'खिलौना पर्यटन' की संभावनाएं तलाशने पर भी काम हो रहा है। स्पो‌र्ट्स-आधारित खिलौनों के प्रोत्साहन के लिए 'टॉयाथन 2021' का भी आयोजन किया गया था। इसमें 7,000 से अधिक आइडिया पर मंथन हुआ।

कार्यक्रम के मौके पर प्रधानमंत्री ने चेन्नापटनम, वाराणसी व जयपुर के परंपरागत खिलौना निर्माताओं से भी बात की। वाराणसी के कश्मीरीगंज खोजवां निवासी शिल्पी रामेश्वर से संवाद करते हुए उन्होंने मास्क लगे हुए लकड़ी के खिलौने बनाने पर विशेष जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चे खिलौने की नकल करते हैं। उन्होंने काशी के शिल्पियों को सलाह दी कि खिलौने बनाने के साथ ही बच्चों की मनोस्थिति को समझने के लिए बीएचयू के मनोविज्ञानियों से सलाह लें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK