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खाद्य पैकेट पर लिखा होगा प्रति यूनिट दाम, उपभोक्ताओं ले सकेंगे बेहतर खरीदारी फैसले

वर्तमान में जो नियम हैं उसके मुताबिक सही प्रारूप में अगर एमआरपी मुद्रित नहीं है तो कंपनियों को नोटिस जारी किए जाते हैं। हालांकि नियमों में संशोधन के बाद कंपनियों को निर्धारित प्रारूप से मुक्त करते हुए अधिकतम खुदरा मूल्य रुपयों में मुद्रित करने को कहा है

By NiteshEdited By: Published: Mon, 08 Nov 2021 10:16 PM (IST)Updated: Tue, 09 Nov 2021 06:29 AM (IST)
खाद्य पैकेट पर लिखा होगा प्रति यूनिट दाम, उपभोक्ताओं ले सकेंगे बेहतर खरीदारी फैसले
Price per unit will be written on the food packet

नई दिल्ली, पीटीआइ। अगले साल अप्रैल से सरकार पैकेजिंग के नए नियम लागू करने जा रही है। इसके तहत सामान बनाने वाली कंपनियों को अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के साथ ही पैकेट पर कमोडिटी की प्रति यूनिट/प्रति किलो के हिसाब से कीमत लिखनी पड़ेगी। इसका मतलब यह हुआ कि अगर किसी पैकेज्ड आइटम में एक किलो या एक लीटर से कम सामान पैक किया गया है तो उस पर प्रति ग्राम या प्रति मिलीलीटर के हिसाब से कीमत लिखनी पड़ेगी। इसी तरह किसी पैकेट में एक किलो से अधिक सामान है तो उसकी भी कीमत एक किलो या एक लीटर के हिसाब से लिखनी पड़ेगी।

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दरअसल, भारत सरकार ने लीगल मेट्रोलाजी (पैकेज्ड कमोडिटी) रूल्स, 2011 में बदलाव किया है। इसमें दूध, चाय, बिस्किट, खाद्य तेल, आटा, साफ्ट ड्रिंक, बेबी फूड, दाल और अनाज, सीमेंट बैग, ब्रेड एवं डिटजर्ेंट आदि जैसे 19 तरह के सामान शामिल हैं।

अनुसूची दो को रद करने के बाद सामान बनाने वाली कंपनियों को अब पूरी आजादी होगी कि वह बाजार में जो डिब्बाबंद सामान बेचते हैं, उसमें वह कितनी मात्रा या संख्या रखना चाहते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि उद्योग अलग- अलग मात्रा में सामान बेचना चाहते थे और इसके लिए मंत्रालय से मंजूरी मांग रहे थे। कुछ को मंजूरी दी गई थी जबकि कुछ को नहीं। अनुपालन में लचीलापन लाने के लिए हम यूनिट बिक्री मूल्य की अवधारणा को लेकर आए हैं। नियमों में बदलाव से ना केवल उपभोक्ताओं को खरीदारी से पहले फैसला लेने में मदद मिलेगी बल्कि उत्पाद की कीमत का पता लगाने में भी सहायता होगी। दूसरा बड़ा बदलाव डिब्बाबंद सामान पर एमआरपी प्रिंट करने के तरीके को लेकर किया गया है।

वर्तमान में जो नियम हैं, उसके मुताबिक सही प्रारूप में अगर एमआरपी मुद्रित नहीं है तो कंपनियों को नोटिस जारी किए जाते हैं। हालांकि नियमों में संशोधन के बाद कंपनियों को निर्धारित प्रारूप से मुक्त करते हुए अधिकतम खुदरा मूल्य रुपयों में मुद्रित करने को कहा है। नए नियमों में एक बड़ा बदलाव यह किया गया है कि आयात किए गए डिब्बाबंद सामान पर महीने या मैन्यूफैक्चरिंग साल के बारे में जानकारी देनी जरूरी होगी। फिलहाल इस डिब्बाबंद सामान के आयात पर सिर्फ महीने या आयात करने की तारीख की जानकारी देना जरूरी है।


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