टेलीकॉम कंपनियों पर टैरिफ बढ़ाने का दबाव, जानें आपकी जेब पर हर महीने कितना बढ़ सकता है बोझ
रेटिंग एजेंसी इकरा के अनुसार पहले से ही कर्ज में दबे टेलीकॉम सेक्टर के लिए अभी एजीआर बकाए के मद में कोई भी राशि चुकाना आसान नहीं है। (PC Reuters)
नई दिल्ली, आइएएनएस। एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाया मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला टेलीकॉम कंपनियों के लिए उतनी राहत नहीं लाया, जितनी उन्हें दरकार थी। सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर बकाया 10 वर्षों के भीतर चुकाने का आदेश दिया है। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने कुल धनराशि का 10 फीसद हिस्सा 31 मार्च, 2021 तक चुका देने को कहा है।
जानकारों के मुताबिक, कर्ज तले दबी वोडाफोन आइडिया और अन्य टेलीकॉम कंपनियों के लिए यह फैसला किसी झटके जैसा है। कैश फ्लो को लेकर संघर्ष कर रही इन कंपनियों के पास अब कर्ज चुकाने के लिए टैरिफ बढ़ाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है। एजीआर बकाया चुकता करने के लिए वोडाफोन आइडिया को कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने को मजबूर होना पड़ सकता है।
रेटिंग एजेंसी इकरा के अनुसार पहले से ही कर्ज में दबे टेलीकॉम सेक्टर के लिए अभी एजीआर बकाए के मद में कोई भी राशि चुकाना आसान नहीं है। इस सेक्टर पर 31 मार्च, 2020 तक कुल 4.4 लाख करोड़ रुपये के बराबर का था। मौजूदा हालात को देखते हुए 31 मार्च, 2021 तक यह 4.6 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। जाहिर है कि नकदी का प्रवाह बनाने और स्थिति से निपटने के लिए कंपनियों को टैरिफ बढ़ाना पड़ सकता है।
क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर नितेश जैन ने कहा कि देनदारी के दबाव से निजात पाने के लिए टेलीकॉम सेवाओं के टैरिफ में प्रति माह 20-30 रुपये की बढ़ोतरी की जा सकती है। क्रिसिल के सीनियर डायरेक्टर सचिन गुप्ता ने कहा कि बढ़ते दबाव के चलते कंपनियों की वित्तीय स्थिति और बैलेंस शीट का बिगड़ना तय है।