इस दशक तक की विकास दर रह सकती है सात प्रतिशत : मुख्य आर्थिक सलाहकार
मार्च 2024 को समाप्त वित्तीय वर्ष की तीन तिमाहियों के दौरान दर्ज की गई मजबूत वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2024 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है। ये जानकारी मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन द्वारा दी गई है । दिसंबर 2023 को समाप्त तीसरी तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 8.4 फीसदी बढ़ा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन का मानना है घरेलू और वैश्विक आर्थिक माहौल को देखते हुए इस दशक तक भारत की जीडीपी विकास दर हर साल 6.5-7 प्रतिशत रह सकती है। आधारभूत बुनियादी सुविधाओं एवं डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से यह संभव दिख रहा है, लेकिन इसे हासिल करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग में एसएमई की हिस्सेदारी को भी बढ़ाना होगा। कारोबार के लिए नियमों के भार को कम करना होगा और सप्लाई चेन की मजबूती के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा।
बुधवार को नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में नागेश्वरन ने कहा कि इस बार सामान्य से अधिक मानसून रहने से खुदरा महंगाई आरबीआई के अनुमान के मुताबिक चार प्रतिशत के स्तर पर आने का अनुमान है। हालांकि वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में भी भारत की विकास दर सात प्रतिशत से अधिक रह सकती है।
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बदल रही हैं वैश्विक स्थितियां
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि वैश्विक स्थितियां बदल रही हैं और उसे ध्यान में रखते हुए हमें घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कौशल विकास, स्वास्थ्य सुविधा जैसी चीजों पर फोकस करना होगा। उन्होंने कहा कि निजी सेक्टर का निवेश भी बढ़ रहा है और घरेलू बचत का पोर्टफोलियो शिफ्ट हो गया है। मतलब बैंक में पैसा जमा करने की जगह लोग रियल एस्टेट, शेयर बाजार जैसी जगहों पर पैसा लगा रहे हैं।
क्या कहती हैं पीएमईएसी की सदस्य पूनम गुप्ता
एनसीएईआर की महानिदेशक और प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) की सदस्य पूनम गुप्ता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान के मुताबिक इस साल वैश्विक व्यापार और विकास दर दोनों में बढ़ोतरी होगी जबकि महंगाई में कमी आएगी। वहीं, घरेलू अर्थव्यवस्था पहले से ही मजबूत स्थिति में है। इस आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर इस साल और अगले साल सात प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद की जा सकती है।
जनसंख्या वृद्धि दर कम होना हमारे लिए है अच्छा
गुप्ता ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात यह है कि हमारी जनसंख्या वृद्धि दर कम हो रही है जबकि विकास दर बढ़ रही है। 1990 में जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 प्रतिशत थी जो अब एक प्रतिशत हो गई है। सरकारी स्थायित्व से नीतिगत जोखिम कम हो गया है। बारिश पर कृषि की निर्भरता कम हुई है, विदेशी मुद्रा के भंडार के साथ बैंकों से कर्ज देने की दरों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस मौके पर विश्व बैंक के कंट्री निदेशक अगस्टे टैनो ने कहा कि वैश्विक विकास दर अच्छी रही तो भारत की विकास दर आठ प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
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