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US-China trade deal में गुडविल संकेत, अमेरिका ने चीन को करेंसी मैनीपुलेटर देशों की सूची से हटाया

US-China trade deal पिछले वर्ष चीन ने अपनी करेंसी यूआन को प्रति डॉलर सात के स्तर तक गिरा दिया था। यह बाद में सुधरकर एक डॉलर के मुकाबले 6.93 यूआन के स्तर तक आ गई।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 10:06 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 10:18 AM (IST)
US-China trade deal में गुडविल संकेत, अमेरिका ने चीन को करेंसी मैनीपुलेटर देशों की सूची से हटाया
US-China trade deal में गुडविल संकेत, अमेरिका ने चीन को करेंसी मैनीपुलेटर देशों की सूची से हटाया

वाशिंगटन, एएफपी। अमेरिका और चीन के बीच होने जा रहे पहले दौर के कारोबारी समझौते से पहले अमेरिका ने चीन को करेंसी से छेड़छाड़ करने वाले (करेंसी मैनीपुलेटेर) देशों की सूची से हटा दिया है। उसने चीन को पिछले वर्ष इस सूची में डाला था। समझौते पर हस्ताक्षर से ठीक पहले वित्त मंत्रालय ने अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा है कि चीन का यूआन मजबूत हुआ है, इसलिए उसे अब करेंसी मैनीपुलेटर माना जाना ठीक नहीं है। इस कदम को समझौते से पहले गुडविल संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

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पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर जानबूझकर करेंसी को कमजोर करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि चीन ने अपनी करेंसी को कमजोर करके अमेरिकी कारोबार और फैक्टरियों को हड़पने की कोशिश की है। पिछले वर्ष चीन ने अपनी करेंसी यूआन को प्रति डॉलर सात के स्तर तक गिरा दिया था। यह बाद में सुधरकर एक डॉलर के मुकाबले 6.93 यूआन के स्तर तक आ गई।

कम हुआ चीन का ट्रेड सरप्लस

चीन और अमेरिका में लगभग दो वर्ष तक चले ट्रेड-वार के चलते चीन के ट्रेड सरप्लस में गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल चीन के ट्रेड सरप्लस में 8.5 परसेंट की गिरावट आई। इस दौरान चीन का ट्रेड सरप्लस करीब 29,580 करोड़ डॉलर रहा। 2018 में चीन का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस 32,330 करोड़ डॉलर रहा था। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनातनी के चलते शुल्क में कई बार इजाफा किया गया था।

समझौते की तारीख करीब

अमेरिका और चीन में पहले दौर के समझैते पर ह्स्ताक्षर की तिथि करीब है। इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपिओ ने सिलिकॉन वैली को चीन के साथ कारोबार को लेकर चेताया है। उन्होंने कहा कि हम दूसरे की संपन्नता के लिए अमेरिकी सिद्धांतों से समझौता नहीं कर रहे हैं। पोंपिओ के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन अमेरिकी कारोबारियों के हितों को सर्वोपरि रखकर चीन के साथ समझौता कर रहा है।


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