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आम आदमी की आवाज, बजट में हमारे लिए कुछ नहीं

जनता की मानें तो चिदंबरम का बजट उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। हो भी क्यों न। न ही टैक्स स्लैब में बदलाव, न ही कोई चीजें सस्ती और न ही आम आदमी के हाथ कुछ आया। ऐसे में आम आदमी के मुंह से तो ये स्लोगन निकलना ही था- बजट में हमारे लिए कुछ नहीं। इस बात की तस्दीक करते हैं हमारे पोल रिजल्ट, जिसमें

By Edited By: Published: Thu, 28 Feb 2013 04:56 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
आम आदमी की आवाज, बजट में हमारे लिए कुछ नहीं

नई दिल्ली। जनता की मानें तो चिदंबरम का बजट उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। हो भी क्यों न। न ही टैक्स स्लैब में बदलाव, न ही कोई चीजें सस्ती और न ही आम आदमी के हाथ कुछ आया। ऐसे में आम आदमी के मुंह से तो ये स्लोगन निकलना ही था- बजट में हमारे लिए कुछ नहीं। इस बात की तस्दीक करते हैं हमारे पोल रिजल्ट, जिसमें 80 फीसद से ज्यादा लोग इस बजट से खुश नहीं है।

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जागरण डॉट कॉम पर चल रहे पोल में जब लोगों से पूछा गया कि क्या बजट आपकी उम्मीदों पर खरा उतरता है..तो तकरीबन 85 फीसद लोगों ने इसका जवाब नहीं में दिया। महज 8 फीसद लोगों की उम्मीदों पर यह बजट खरा उतरा। वहीं, तकरीबन 7 फीसद लोग अभी भी चिदंबरम के बजट को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि, जानकारों का मानें तो मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए चिदंबरम ने सोच-समझकर बजट बनाया है। उनका पूरा ध्यान आर्थिक विकास की रफ्तार को बढ़ावा देने और सरकारी खजाने की स्थिति सुधारने पर रहा। वैसे भी चिदंबरम अपने आर्थिक सर्वे में बता चुके है कि अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियां हैं। राजकोषीय घाटा घटाने की कोशिश हो रही है।

आम आदमी के हाथ कुछ नहीं लगा। हाथ लगी तो सेवा कर के नाम पर महंगी सुविधाएं और एक्साइज बढ़ने के नाम पर चीजों के दाम बढ़ना। एसी रेस्तरां में खाना, दो हजार के ऊपर के मोबाइल, सिगरेट, टीवी सेट टॉप बॉक्स, मारबल जैसी चीजों के दाम बढ़ गए। न तो टैक्स स्लैब में कोई बदलाव न ही टैक्स में किसी तरह की कोई खास छूट। अब आम आदमी जाए तो जाए कहां।

आम आदमी तो रोज ही गीत गुनगुना रहा है..महंगाई डायन खाय जात है। चिदंबरम के बजट भाषण में महंगाई को कम करने से जुड़ा प्वाइंट भी मिसिंग था। अब ऐसे में लोग बरगलाए नहीं तो क्या करें?

नौकरीपेशों को भी किया निराश..

दिल्ली के आम नौकरीपेशा लोगों ने भी बजट पर निराशा जताते हुए इसे आम नहीं खास लोगों के लिए बताया है। उनके अनुसार यह बजट महंगी हुई वस्तुएं सिर्फ आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों के लिए ही है। इसमें मध्यम वर्ग के लोगों के लिए कुछ भी नहीं है। चुनावी बजट को लेकर साधारण लोगों की उम्मीदों के विपरीत हर जरूरत की वस्तु की कीमत में बढ़ोतरी व टैक्स में राहत ना मिलने से उनमें असंतोष है।

'टैक्स में छूट ना देकर व चीजों को महंगा करके सरकार ने बस हमारी मुश्किलें ही बढ़ाई हैं। इससे साधारण लोगों को कोई फायदा नहीं पहुंचा है। सरकारी नौकरियों में भी तो फिर भी कुछ फायदा है लेकिन हमें क्या मिला, कुछ भी नहीं। आज सब कुछ महंगा हो गया है, बच्चों की पढ़ाई से लेकर घर का खर्च सभी जगहों पर मुश्किलें बढ़ गई हैं।

एम ए खान, निजी क्षेत्र में कार्यरत

'मुझे नहीं लगता कि इस बजट से आम आदमी को कोई फायदा पहुंचेगा। सभी महत्वपूर्ण चीजों, कार से लेकर मोबाइल की कीमत बढ़ा दी गई। ऐसे में कैसे जिया जाएगा। आर्थिक सुधार का हवाला देकर कब तक सरकार आम लोगों के जेबों से पैसे निकालती रहेगी। अब तो संतुलन बनाने में समय निकल जाता है।'

संजय कुमार, बैंक में कार्यरत

'इस बजट को 50-50 मानता हूं। लेकिन इसमें साधारण लोगों के लिए कुछ भी नहीं है। खाने पीने की चीजों को महंगा करना ठीक नहीं। बजट में उच्च वर्ग का खास ध्यान रखा गया है। वैसे महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से सरकार की ओर से अच्छी शुरूआत है। उम्मीद है कि इससे कुछ फर्क पड़ेगा।'

फैशल, निजी क्षेत्र में कार्यरत

'टैक्स में छूट ना होने से निराशा हुई है। लगातार महंगाई के बाद इस बार कुछ उम्मीदें थी लेकिन अब तो खाने में भी ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। बजट ने राहत के बजाय और अधिक बोझ डाल दिया है।'

गणेश, सीए

'हर बार की तरह इस बार भी मध्यम वर्गीय लोगों को निराशा हुई है। सरकार कुछ भी नया लेकर नहीं आई है। युवा छात्रों के लिए भी सरकार ने कोई नहीं सुविधा नहीं दी। शिक्षा के क्षेत्र में महंगाई की मार झेल रहे मध्यम वर्ग के लोगों को राहत देनी चाहिए थी।'

अभिनव, सीए छात्र


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