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मंदी पर कारोबारियों और अर्थविदों संग मंथन में जुटे हैं PM मोदी

एेसे समय शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है, रुपया लगातार कमजोर हो रहा है और आर्थिक विकास दर को लेकर नई चिंताएं पैदा हो रही, प्रधानमंत्री निवास में अार्थिक मुद्दों पर शुरू हुई बैठक अभी तक भी जारी है।

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2015 06:17 AM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2015 02:10 PM (IST)
मंदी पर कारोबारियों और अर्थविदों संग मंथन में जुटे हैं PM मोदी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एेसे समय शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है, रुपया लगातार कमजोर हो रहा है और आर्थिक विकास दर को लेकर नई चिंताएं पैदा हो रही, प्रधानमंत्री निवास में अार्थिक मुद्दों पर शुरू हुई बैठक राजग सरकार की शुरू अभी तक की सबसे अहम बैठक है, जो अभी भी जारी है। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं कर रहे हैं। बैठक में देश के दो दर्जन से ज्यादा नामी गिरामी उद्यमी, प्रमुख बैंकों के अध्यक्ष व अर्थविदों के अलावा रिजर्व बैंक के अध्यक्ष रघुराम राजन व नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पणगढ़िया भी शामिल हो रहे हैं। उद्यमियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी, टाटा समूह के सायरस मिस्त्री, भारती समूह के सुनील भारती मित्तल, आदित्य बिड़ला समूह के कुमार मंगलम बिड़ला व फिक्की, सीआइआइ और एसोचैम के अध्यक्ष भी शामिल होंगे। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ वैसे तो पीएम पहले भी मिलते रहे हैं लेकिन एक साथ सभी क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ यह मोदी सरकार के गठन के बाद पहली बैठक है।

सूत्रों के मुताबिक बैठक में शामिल हर सदस्य को तीन मिनट में अपनी बात कहने का निर्देश दिया गया है। बैठक में भाग लेने से पहले एक उद्योगपति के मुताबिक हमें यह बताना है कि मौजूदा आतंरिक व वैश्विक हालात में सरकार व उद्योग जगत के भावी कदम क्या होने चाहिए। सरकार को किस तरह से आर्थिक सुधारों को अब आगे बढ़ाना चाहिए। मसलन, चीन की मंदी के पक्के आसार बनने से भारत को क्या कदम उठाने चाहिए जिससे यहां ज्यादा से ज्यादा निवेशकोें को बुलाया जा सके। साथ ही वित्तीय व श्रम क्षेत्र में सुधार पर सरकार का प्रायोगिक कदम क्या होने चाहिए। इसी तरह से भूूमि अधिग्रहण कानून को लेकर सरकार के भावी कदम क्या होने चाहिए। चूंकि सरकार ने संशोधन से पैर पीछे खींच लिये हैं एेसे में अब भूमि अधिग्रहण को लेकर मौजूदा विकल्पों पर बात होगी।
माना जा रहा है कि पीएम की तरफ से उद्योग जगत को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की जाएगी कि सरकार की मंशा आर्थिक सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाने की है लेकिन इसकी राह में कई तरह की अड़चनें विपक्ष की तरफ से पैदा किया जा रहा है। सनद रहे कि हाल के दिनो में कई बड़े उद्यमियों ने राजग सरकार की इच्छाशक्ति पर सवाल उठाये हैं। एक बड़े उद्यमी ने यहां तक कह दिया है कि राजग सरकार के 15 महीनों में भी हालात नहीं बदले हैं।

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