कोयले की दोहरी कीमत की वकालत
योजना आयोग ने एक बार फिर कोयले की दोहरी मूल्य प्रणाली लागू करने की मांग की है। कोयले की आपूर्ति समस्या से जूझ रही बिजली कंपनियों को राहत देने के लिए आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को यह सुझाव दिया है। पीएमओ ने एक बयान में कहा कि उसे बिजली प्लांटों को आपूर्ति किए जाने वाले कोयले की दोहरी कीमतों के मसले क
नई दिल्ली। योजना आयोग ने एक बार फिर कोयले की दोहरी मूल्य प्रणाली लागू करने की मांग की है। कोयले की आपूर्ति समस्या से जूझ रही बिजली कंपनियों को राहत देने के लिए आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को यह सुझाव दिया है।
पीएमओ ने एक बयान में कहा कि उसे बिजली प्लांटों को आपूर्ति किए जाने वाले कोयले की दोहरी कीमतों के मसले को लेकर योजना आयोग का एक नोट प्राप्त हुआ है। इस नोट में जरूरी कदम उठाए जाने की जरूरत बताई गई है। दोहरी मूल्य प्रणाली व्यवस्था के तहत बिजली उत्पादकों को घरेलू स्तर पर उत्पादित कोयले की निर्धारित मात्रा तय कीमतों पर उपलब्ध कराई जाएगी। जबकि बाकी कोयले की आपूर्ति यदि आयात से की जाए तो उसकी अंतरराष्ट्रीय कीमत वसूली जाए। घरेलू कोयले से ही अतिरिक्त मांग पूरी किए जाने पर आयात कीमत में शुल्क और ढुलाई खर्च जोड़कर कीमत वसूली जाए।
योजना आयोग ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में कोल इंडिया की ओर से 37.9 करोड़ टन घरेलू कोयले की आपूर्ति किए जाने की उम्मीद है। बाकी 10 करोड़ टन कोयले का बाजार कीमत पर आयात किया जा सकता है। मौजूदा व्यवस्था में तटीय क्षेत्रों से दूर स्थित बिजली प्लांटों को भी कोयला आयात के लिए बाध्य होना पड़ता है। इससे न सिर्फ ढुलाई लागत की बर्बादी होती है बल्कि बंदरगाहों पर बोझ भी बढ़ता है। अनावश्यक ढुलाई से बचने के लिए कोयले की कीमतों को तार्किक बनाया जा सकता है। इससे समय और लागत दोनों की बचत होगी। इससे तटों के करीब स्थित बिजली उत्पादकों को आयातित कोयले का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। साथ ही तटों से दूर स्थित प्लांटों को घरेलू कोयले की आपूर्ति बढ़ाई जा सकती है।