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NPS सब्सक्राइबर्स को बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर की देनी होगी जानकारी: PFRDA

नेशनल पेंशन स्कीम के सब्सक्राइबर्स के लिए बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 20 Apr 2018 04:46 PM (IST)Updated: Sun, 22 Apr 2018 11:44 AM (IST)
NPS सब्सक्राइबर्स को बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर की देनी होगी जानकारी: PFRDA
NPS सब्सक्राइबर्स को बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर की देनी होगी जानकारी: PFRDA

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के ग्राहकों के लिए बैंक खाते का ब्योरा और मोबाइल नंबर देना अनिवार्य होगा। पेंशन फंड नियमन एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने ग्राहकों के लिए एनपीएस का परिचालन आसान बनाने के इरादे से यह कदम उठाया है। एनपीएस के मौजूदा और नए खाताधारकों को अमेरिकी कानून ‘फटका’ के तहत भी एक फॉर्म भरकर सेल्फ सर्टिफिकेशन देना होगा।

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वित्त मंत्रलय के अनुसार एनपीएस के मोबाइल नंबर और बैंक खाते का ब्योरा देना अनिवार्य होगा। इससे एनपीएस के ग्राहकों को पेंशन योजना छोड़ते समय कोई परेशानी नहीं होगी। पीएफआरडीए ने मनी लांडिंग कानून के दिशानिर्देशों के तहत एनपीएस ग्राहकों के लिए ‘फटका’ और सेंट्रल रजिस्ट्रेशन ऑफ सिक्योरिटाइजेशन एसेट रिकंस्ट्रक्शन एंड सिक्योरिटी इंटरेस्ट (सीईआरएसएआइ) के नियमों को भी एनपीएस ग्राहकों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। एनपीएस के नए ग्राहकों को फटका का फार्म भरकर सेल्फ सर्टिफिकेशन करना होगा जबकि मौजूदा ग्राहक ऑनलाइन यह फार्म भर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि एनपीएस के लगभग 1.8 करोड़ ग्राहक हैं। सरकार ने इसकी शुरुआत जनवरी 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए की थी। इसके बाद 2009 में इसे आम लोगों के लिए खोला गया। सरकार ने पहली जनवरी 2004 के बाद सरकारी नौकरी में आने वाले सभी कर्मचारियों के लिए एनपीएस की सदस्यता अनिवार्य कर दी है। केवल सैन्य बलों को ही एनपीएस से छूट दी गई है। इसके तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते से एक निश्चित राशि पेंशन के लिए योगदान करता है, इतनी ही राशि सरकार कर्मचारी के पेंशन फंड में जमा करती है। वहीं, निजी क्षेत्र खासकर कमजोर वर्ग के लोगों के लिए सरकार ने अटल पेंशन योजना शुरू की है।

क्या है ‘फटका’
‘फॉरेन अकाउंट टैक्स कंप्लायंस एक्ट’ यानी फटका एक अमेरिकी कानून है जिसका मकसद अमेरिकी नागरिकों तथा गैर-अमेरिकी व्यक्तियों द्वारा कर चोरी को रोकना है। इसके तहत भारत समेत दुनिया के तमाम देशों के बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों से कुछ सूचनाएं लेनी होती हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अमेरिकी टैक्स की चोरी नहीं कर रहे हैं। इसीलिए बैंक और वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों से एक सेल्फ सर्टिफिकेशन लेते हैं।


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