Petrol, Diesel की महंगाई की मार; लोग हेल्थ, ग्रॉसरी की चीजों पर कम कर रहे हैं खर्चः SBI Economists
Petrol-Diesel Price में बढ़ोत्तरी की वजह से लोग ग्रॉसरी हेल्थ और यूटिलिटी पर कम खर्च कर रहे हैं। एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष द्वारा लिखित एक नोट में कहा गया है कि सरकार ईंधन पर टैक्स में कमी के बारे में सोचना चाहिए।
मुंबई, पीटीआइ। Petrol-Diesel Price में बढ़ोत्तरी की वजह से लोग ग्रॉसरी, हेल्थ और यूटिलिटी पर कम खर्च कर रहे हैं। देश के सबसे बड़े लेंडर एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने मंगलवार को यह कहा। एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष द्वारा लिखित एक नोट में कहा गया है कि सरकार ईंधन पर टैक्स में कमी के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा है कि टैक्स की वजह से Petrol, Diesel के दाम आसमान छू रहे हैं।
देश के अधिकतर हिस्सों में पेट्रोल का भाव 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गया है। वहीं, प्रति लीटर डीजल का रेट भी 100 रुपये के करीब है। एक अनुमान के मुताबिक एक लीटर में 40 रुपये से ज्यादा केंद्र और राज्य सरकारों को टैक्स और एक्साइज ड्यूटी के रूप में जाता है।
वैश्विक स्तर पर जब कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आई थी तो टैक्स बढ़ाए गए थे लेकिन कच्चे तेल के भाव दोबारा चढ़ने पर भी टैक्स वापस नहीं लिए गए।
घोष ने कहा, ''चूंकि उपभोक्ता ईंधन पर अधिक पैसे खर्च कर रहे हैं, ऐसे में हेल्थ पर होने वाले खर्च में कमी ला रहे हैं। SBI Card के हमारे विश्लेषण में इस बात के संकेत मिलते हैं कि ईंधन से संबंधित बढ़े हुए खर्च की भरपाई करने के लिए लोगों ने हेल्थ पर किए जाने वाले non-discretionary खर्चों में काफी कमी कर दी है।''
उन्होंने कहा, ''वास्तव में इस वजह से ग्रॉसरी और यूटिलिटी सर्विसेज पर non-discretionary खर्च इतना अधिक कम हो गया है कि इन प्रोडक्ट्स की मांग में काफी अधिक कमी आ गई है।''
घोष ने साथ ही आगाह किया है कि ईंधन पर बहुत अधिक व्यय से महंगाई दर पर भी असर देखने को मिला है। यह लगातार दूसरे महीने आरबीआई द्वारा तय महंगाई दर के लक्ष्य को पार कर गया।
इस नोट में कहा गया है कि टैक्स को तर्कसंगत बनाते हुए ईंधन की कीमतों में तत्काल कमी किए जाने की जरूरत है। ऐसा नहीं किए जाने पर लोग इस तरह अन्य सेग्मेंट में खर्च में कमी जारी रखेंगे।