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पेट्रोलियम प्रोडक्ट जीएसटी के दायरे में तभी, जब रेवेन्यू कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये के पार हो: सुशील मोदी

सुशील मोदी ने बताया पेट्रोलियम प्रोडक्ट की कीमतें नीचें आ सकती हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 02 Jul 2018 10:27 AM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 01:44 PM (IST)
पेट्रोलियम प्रोडक्ट जीएसटी के दायरे में तभी, जब रेवेन्यू कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये के पार हो: सुशील मोदी
पेट्रोलियम प्रोडक्ट जीएसटी के दायरे में तभी, जब रेवेन्यू कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये के पार हो: सुशील मोदी

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि प्रमुख कमोडिटी जैसे कि पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के दायरे में लाए जाने पर विचार किया जा सकता है, हालांकि यह उसी सूरत में होगा जब रेवेन्यू कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये प्रतिमाह के स्तर पर स्थिर हो जाए।

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मोदी ने कहा, “मेरा मानना है कि वह समय (जीएसटी के दायरे में पेट्रोल एवं डीजल को शामिल किए जाने लायक) अभी नहीं आया है। इसमें समय लगेगा।” उन्होंने कहा, “जब रेवेन्यू कलेक्शन स्थिर होकर 1 लाख करोड़ रुपये प्रतिमाह के स्तर पर स्थिर हो जाता है तो जीएसटी काउंसिल इस पर विचार कर सकती है कि कब और कैसे पेट्रोल और डीजल जैसी कमोडिटी को जीएसटी के दायरे में लाया जाए।” सुशील कुमार मोदी जीएसटी के एक साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे।

सुशील मोदी, जो कि जीएसटी नेटवर्क पैनल के प्रमुख भी हैं, ने बताया पेट्रोलियम प्रोडक्ट की कीमतें नीचें आ सकती हैं, अगर उन्हें जीएसटी के दायरे में लाया जाता है क्योंकि राज्यों के पास 28 फीसद की उच्चतम जीएसटी दर से अधिक कर (टॉप अप) लगाने की शक्ति होगी।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वित्त वर्ष 2018-19 में जीएसटी के तहत राजस्व संग्रह बढ़ेगा, अगले पांच-छह महीनों में नया रिटर्न फॉर्म होने की संभावना है, जो संग्रह को और बढ़ावा देगा। मंत्री ने कहा कि जीएसटी का पहला साल काफी सफल रहा है, क्योंकि नए अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के लॉन्च के बाद लोगों को कीमतों में वृद्धि की आशंका थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।


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