पैनल ने की जीवन बीमा के क्षेत्र में रिटर्न बढ़ाने की सिफारिश
रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में बीमा क्षेत्र में निवेश के नियम अनुकूल नहीं हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जीवन बीमा के क्षेत्र में व्यापक फेरबदल की तैयारी चल रही है। इस संबंध में नियमों की समीक्षा के लिए गठित समिति ने अपने सुझाव दिए हैं। समिति ने बीमा क्षेत्र में रिटर्न बढ़ाने के लिए सरकारी प्रतिभूतियों में कम से कम 50 फीसद निवेश की अनिवार्यता को हटाने की बात कही है। समिति का कहना है कि रिटर्न को लेकर लोगों की अपेक्षाओं को देखते हुए प्रीमियम के रूप में मिलने वाली राशि के बड़े हिस्से का निवेश इक्विटी या ज्यादा रिटर्न वाले ऐसे ही अन्य माध्यमों में किया जाना चाहिए।
बीमा नियामक इरडा ने 2013 में नॉन-लिंक्ड इंश्योरेंस प्रोडक्ट और लिंक्ड इंश्योरेंस प्रोडक्ट के लिए नियम जारी किए थे। बाजार और आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव के चलते नियमों की समीक्षा के लिए इस साल जनवरी में नियामक ने आठ सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में नियमों में व्यापक फेरदबल की जरूरत बताई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अभी बीमा क्षेत्र में निवेश के नियम अनुकूल नहीं हैं। इस कारण बीमाधारकों को बेहतर रिटर्न नहीं मिल पाता। अभी कम से कम 50 फीसद राशि सरकारी प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) में लगाना अनिवार्य है। इन प्रतिभूतियों में 6.7 से 7.2 फीसद सालाना के लगभग रिटर्न मिलता है। इस सीमा को कम किया जाना चाहिए।
जीवन बीमा और पेंशन के प्रीमियम का बड़ा हिस्सा इक्विटी या प्रॉपर्टी जैसे ज्यादा रिटर्न देने वाले एसेट्स में लगाने से बीमाधारकों की उम्मीदों पर खरा उतरा जा सकता है। लोग कम से कम आठ फीसद तक के रिटर्न की उम्मीद रखते हैं। पारंपरिक बीमा उत्पादों की सरेंडर वैल्यू को लेकर समिति में एक राय नहीं बन सकी। समिति के कुछ सदस्यों ने सरेंडर वैल्यू को बढ़ाने की सिफारिश की, जबकि अन्य से यथास्थिति बनाए रखने का पक्ष लिया।