कोरोना वायरस से बैंकों को संपत्ति का हो सकता है नुकसान, पूंजी की कमी का जोखिम: दास
कोरोना वायरस के कारण उपजे हालात से बैंकों की वित्तीय सेहत कई तरह से बिगड़ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसे लेकर आशंका जाहिर की है। उनका कहना है कि महामारी के कारण बैंकों की संपत्ति को बट्टा लग सकता है
नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना वायरस के कारण उपजे हालात से बैंकों की वित्तीय सेहत कई तरह से बिगड़ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसे लेकर आशंका जाहिर की है। उनका कहना है कि महामारी के कारण बैंकों की संपत्ति को बट्टा लग सकता है और पूंजी की कमी हो सकती है। साथ ही उनका कहना है कि जो आंकड़े उपलब्ध हैं वे इन वित्तीय संस्थानों के बही-खातों के वास्तविक दबाव को स्पष्ट नहीं करते।
गवर्नर शक्तिकांत दास ने छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि इस महामारी के दौरान दी गई नियामकीय राहत वापस होने के बाद बैंकों की संपत्ति को नुकसान होगा और पूंजी की कमी दिखेगी। उन्होंने बैंकों से कहा कि वे ऐसे हालात में पूंजी आधार बढ़ाएं। दास ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा कि नकदी स्थिति आसान हुए और वित्तीय स्थिति बेहतर होने से बैंकों के वित्तीय मानदंड ठीक हुए हैं। गवर्नर ने कहा कि मजबूत पूंजी आधार और नकदी की बेहतर स्थिति के साथ नियामकीय उपायों से बैंक सिस्टम कोरोना का सही ढंग से सामना कर सकी है।
मालूम हो कि कुछ साल पहले केन्द्रीय बैंक ने बैकों की संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा की थी। इस समीक्षा का मकसद यह था कि उनके बही-खाता दबाव की सही स्थिति को बताये। रिज़र्व बैंक ने कोरोना संकट में लोगों की सहूलियत के लिए कर्ज लौटाने को लेकर छह महीने की मोहलत दी जो अगस्त में समाप्त हो गई। फिर कंपनियों को राहत देने के लिए कर्ज पुनर्गठन की घोषणा की गई जिसकी आखिरी तारीख 31 दिसंबर थी।
दास ने कहा कि सरकार के पास राजस्व की कमी है और उसके बाजार उधारी कार्यक्रम का विस्तार हुआ है। दास ने सावधान करते हुए कहा कि वित्तीय परिसंपत्तियों का बढ़ा हुआ मूल्य वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करता है। दास ने कहा कि महामारी से हमें नुकसान हुआ है, आगे आर्थिक वृद्धि और आजीविका बहाल करने का काम करना है।