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वादे के मुताबिक कच्चे तेल की आपूर्ति नहीं बढ़ा रहा ओपेक

भारत ने ओपेक पर आरोप लगाया है कि वे वादे के मुताबिक ईरान की आपूर्ति की भरपाई के लिए कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ा रहे हैं।

By Pramod Kumar Edited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 08:34 AM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 08:34 AM (IST)
वादे के मुताबिक कच्चे तेल की आपूर्ति नहीं बढ़ा रहा ओपेक
वादे के मुताबिक कच्चे तेल की आपूर्ति नहीं बढ़ा रहा ओपेक

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अपने प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता देश ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू होने के बढ़ते आसार के बीच भारत ने अपनी नाराजगी का इजहार किया है। भारत ने एक तरफ जहां तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक पर आरोप लगाया है कि वे वादे के मुताबिक ईरान की आपूर्ति की भरपाई के लिए कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ अमेरिका पर परोक्ष निशाना लगाते हुए कहा है कि आपूर्ति प्रभावित होने की वजह से नहीं बल्कि सेंटीमेंट प्रभावित होने की वजह से कच्चा तेल महंगा हो रहा है। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान का यह बयान तब आया है जब आगामी चार नवंबर से ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू हो जाएंगे। इसकी वजह से ईरान से तेल खरीदने में भारत को भी परेशानी होने के आसार है।

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प्रधान से जब पूछा गया कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध से बचने के लिए क्या किया जा रहा है तो उन्होंने बस यह कहा, ‘हमने कुछ किया है। हम हर पक्ष के साथ बात कर रहे हैं।’ हालांकि इसके बाद उन्होंने ओपेक देशों पर जमकर निशाना लगाया। प्रधान ने कहा, ‘ओपेक देशों ने पिछले जून में कहा था कि वह तेल उत्पादन में 10 लाख बैरल प्रति दिन की बढ़ोतरी करेगा। लेकिन हमारी सूचना है कि ऐसा नहीं हुआ है। दूसरी तरफ क्रूड की कीमतों को लेकर अस्थिरता बनी हुई है। यह अस्थिरता आपूर्ति बाधित होने की वजह से नहीं बनी है बल्कि बाजार के सेंटीमेंट प्रभावित होने की वजह से बनी है। इसके लिए भू-राजनैतिक हालात जिम्मेदार हैं। हमें यह समझना होगा कि क्रूड का स्थिर बाजार सभी के लिए बेहतर है।’ प्रधान ने आश्वासन दिया कि देश को तेल मिलने में कोई दिक्कत नहीं पेश आएगी।

सनद रहे कि अभी क्रूड की कीमतों में तेजी के पीछे सबसे बड़ी वजह ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध है। क्रूड की कीमत 86.74 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी। इससे भारत जैसे उपभोक्ता देशों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि यह अपनी जरूरत का 83-84 फीसद आयात करता है। भारत अपनी जरूरत का तकरीबन 15 फीसद तेल ईरान से आयात करता है। 


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