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अब और नहीं रुलाएगा प्याज, कीमतों में बड़ी गिरावट

प्याज के निर्यात पर रोक और विक्रेताओं के पास स्टॉक लिमिट के नियम के बाद से देश के कई हिस्सों में प्याज के दाम में कमी आई है।

By NiteshEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 07:27 PM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 07:29 AM (IST)
अब और नहीं रुलाएगा प्याज, कीमतों में बड़ी गिरावट
अब और नहीं रुलाएगा प्याज, कीमतों में बड़ी गिरावट

नई दिल्ली, पीटीआइ। प्याज के निर्यात पर रोक और विक्रेताओं के पास स्टॉक लिमिट के नियम के बाद से देश के कई हिस्सों में प्याज के दाम में कमी आई है। प्याज के दाम थोक और खुदरा दुकान दोनों जगह कम हुए हैं। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने गुरुवार को ये बात कही। व्यापारिक आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में कुछ रोज पहले प्याज की खुदरा कीमत जो 60-70 रुपये प्रति किलो थी वह गुरुवार को घटकर 60 रुपये प्रति किलो से नीचे हो गई।

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पासवान ने कहा, 'हमें किसान के साथ उपभोक्ताओं की भी चिंता है। निर्यात पर रोक और खुदरा विक्रेताओं के लिए 100 क्विंटल और थोक विक्रेताओं के लिए 500 क्विंटल की लिमिट तय करने के बाद से प्याज की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है।' उन्होंने कहा कि 56,000 टन प्याज के केंद्रीय बफर स्टॉक में से 18,000 टन का निपटान कर दिया गया है और लगभग 15,000 टन नमी की कमी के कारण सूख गया है। पासवान ने कहा, 'हमारे स्टॉक में अभी भी 25,000 टन प्याज है। हम राज्य सरकारों से (स्टॉक से) लेने और 23।90 रुपये प्रति किलोग्राम की आपूर्ति करने और कीमतें सुनिश्चित करने के लिए कह रहे हैं।'

सरकार की ओर से प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लागू करने के बाद महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर से नीचे आ गईं, यहां एशिया की सबसे बड़ी थोक मंडी है। नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (NHRDF) के आंकड़ों के मुताबिक, नासिक जिले के लासलगांव में प्याज की अधिकतम थोक दर सितंबर मध्य से 51 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर से गिरना शुरू हो गई है। लासलगांव एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी में गुरुवार को प्याज का थोक भाव 26 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि अधिकतम दाम 30।20 रुपये प्रति किलोग्राम और न्यूनतम भाव 15 रुपये प्रति किलो था।

लासलगांव मंडी देश भर में प्याज के लिए मूल्य प्रवृत्ति निर्धारित करती है। इस बाजार में कोई भी उतार-चढ़ाव होता है तो उसका असर अन्य भागों में भी दिखाई देता है। अगस्त के बाद से प्याज की कीमतें बढ़नी शुरू हुई, क्योकि देश के कई हिस्सों में आई बाढ़ और महाराष्ट्र और कर्नाटक से आपूर्ति बाधित होने से इसकी कीमतें बढ़ गई। इसके अलावा खरीफ प्याज की बुवाई के क्षेत्र में संभावित गिरावट ने कीमतों पर दबाव डाला। अभी पिछले साल की रबी फसल से पैदावार प्याज बाजार में बेचा जा रहा है। ताजा खरीफ की फसल नवंबर से बाजार में आने की उम्मीद है।


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