आम आदमी की जेब होगी और ढीली, हर महीने बढ़ेंगे इसके दाम
सरकार ने तेल कंपनियों को मूल्य वृद्धि की मंजूरी दी है। जिससे पांच साल बाद मिट्टी के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
दिल्ली (प्रेट्र)। केंद्र सरकार ने सब्सिडी घटाने के मकसद से केरोसिन के दाम बढ़ाने की इजाजत दे दी है। इससे सरकारी तेल कंपनियां डीजल की तर्ज पर हर महीने सब्सिडी वाले केरोसिन के मूल्य में 25 पैसे प्रति लीटर का इजाफा कर सकेंगी। यह बढ़ोतरी अप्रैल, 2017 तक जारी रहेगी। इस तरह दस महीने में सब्सिडी वाला केरोसिन ढाई रुपये प्रति लीटर महंगा हो जाएगा।
तेल कंपनियों ने पहली जुलाई को मिट्टी के तेल (केरोसिन) के दाम 25 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दिए थे। केरोसिन की कीमत में यह वृद्धि पांच साल बाद की गई है। इससे पहले जून, 2011 में सब्सिडी वाले केरोसिन के मूल्य में 2.64 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया गया था। राष्ट्रीय राजधानी में बिना सब्सिडी वाले केरोसिन की कीमत 52.82 रुपये प्रति लीटर है।
ताजा बढ़ोतरी से पहले सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये केरोसिन 14.96 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था। इस बिक्री पर तेल कंपनियों को 13.12 रुपये प्रति लीटर का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसमें से 12 रुपये प्रति लीटर का सब्सिडी बोझ सरकार उठाती है, जबकि शेष 1.12 रुपये की राशि ओएनजीसी जैसी तेल उत्पादक कंपनियां वहन करती हैं। सरकार के 27,571 करोड़ रुपये के पेट्रोलियम सब्सिडी बिल में केरोसिन की 41.7 फीसद हिस्सेदारी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहली बढ़ोतरी को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। पीडीएस के जरिये बिकने वाले केरोसिन की कीमत में अभी तक यह वृद्धि नजर नहीं आई है। यह बढ़ोतरी राज्य सरकारों की सहमति के बाद ही दिखाई देगी। पिछली संप्रग सरकार ने डीजल कीमतों में बढ़ोतरी का यही तरीका अपनाया था।
इसके तहत सब्सिडी पूरी तरह खत्म करने के लिए डीजल मूल्य में 50 पैसे प्रति लीटर की हर महीने वृद्धि की गई थी। इसकी वजह से अक्टूबर, 2014 में भाजपा सरकार डीजल मूल्य को नियंत्रणमुक्त कर पाई। पेट्रोल कीमत को संप्रग सरकार ने जून, 2010 में ही बाजार के हवाले कर दिया था।
सरकार को होगी खासी बचत
रेटिंग एजेंसी इकरा के मुताबिक जुलाई से अप्रैल के बीच 25 पैसे प्रति माह की बढ़ोतरी से केरोसिन पर जाने वाली सब्सिडी में चालू वित्त वर्ष के दौरान 760 करोड़ रुपये की बचत होगी। अगले वित्त वर्ष के दौरान केरोसिन सब्सिडी बिल में 2,040 करोड़ रुपये की कमी आएगी। इसके अलावा सब्सिडी में कमी लाने की कोशिशों के तहत केंद्र सरकार 26 जिलों में एक पायलट प्रोजेक्ट चला रही है। इस परियोजना के तहत केरोसिन सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में भेजी जा रही है।
ये भी पढ़ेंः देश की सभी खबरों के लिए यहां क्लिक करें