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भारत में तेल खोजने में रुचि नहीं ले रही कंपनियां

ब्रिटिश पेट्रोलियम, अरामको, टोटल जैसी कंपनियां भारत के तेल व गैस के मार्केटिंग क्षेत्र में तो उतरना चाहती हैं लेकिन यहां पेट्रोलियम उत्पादों की खोज को लेकर उत्साहित नहीं है।

By Pramod Kumar Edited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 08:23 AM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 08:23 AM (IST)
भारत में तेल खोजने में रुचि नहीं ले रही कंपनियां
भारत में तेल खोजने में रुचि नहीं ले रही कंपनियां

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। देश में तेल व गैस की खोज करने की नई नीति ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) में दुनिया की किसी भी बड़ी पेट्रोलियम कंपनी ने हिस्सा नहीं लिया लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इन कंपनियों की रुचि भारत में नहीं है। ब्रिटिश पेट्रोलियम, अरामको, टोटल सरीखी दुनिया की दिग्गज पेट्रोलियम कंपनियां भारत के तेल व गैस के मार्केटिंग क्षेत्र में तो उतरना चाहती हैं लेकिन यहां पेट्रोलियम उत्पादों की खोज को लेकर उत्साहित नहीं है। बहरहाल, इन कंपनियों की रुचि को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा बाजार में निजी कंपनियों खासकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को और प्रोत्साहित करने के लिए मौजूदा नियमों में बड़े बदलाव करने के संकेत दिए हैं।

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भारत के पेट्रोलियम सेक्टर पर आयोजित इंडिया एनर्जी फोरम की दो दिनों तक चली बैठक में अधिकांश कंपनी प्रतिनिधियों ने भारत में ऊर्जा की मांग को लेकर तो बहुत उत्साह दिखाया लेकिन यहां तेल व गैस खोजने में निवेश करने को लेकर उन्होंने अभी भावी योजना नहीं बताई। ब्रिटिश पेट्रोलियम (बीपी) के ग्लोबल सीईओ बॉब डुडले ने भारतीय बाजार को अपनी कंपनी के लिए ब्राजील जैसा अहम बताया लेकिन वह यहां मुख्य तौर पर मार्केटिंग में संभावनाएं देख रहे हैं और निवेश करने की सोच रहे हैं। देश की सबसे बड़ी निजी पेट्रोलियम कंपनी रिलायंस के साथ उनकी बातचीत हो रही है। बीपी व रिलायंस के बीच पिछले वर्ष समझौता हुआ था जिससे उम्मीद बंधी थी कि वे भारत में तेल खोज में भी निवेश करेंगी। लेकिन इस वर्ष ओएएलपी में इन दोनों कंपनियों ने हिस्सा नहीं लिया। बीपी पेट्रोल व डीजल के साथ गैस के रिटेल सेक्टर में भी उतरने की योजना तैयार कर चुकी है।

भारत के पेट्रोलियम सेक्टर से अमूमन बाहर ही रहने वाली फ्रांस की सबसे बड़ी एनर्जी कंपनी टोटल के चेयरमैन व सीईओ पैटिक पौयाने ने मंगलवार को बताया कि भारत के डाउनस्ट्रीम सेक्टर (रिफाइनरी व मार्केटिंग) में उतरने के लिए उनकी काफी अच्छी बात चल रही है। कंपनी भारत में एलएनजी टर्मिनल लगाने से लेकर पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा कारोबार में उतरना चाहती है। माना जाता है कि टोटल की बातचीत अडानी समूह के साथ चल रही है। टोटल के प्रमुख ने जिस तरह से घरों में पाइपलाइन के जरिये गैस पहुंचाने के क्षेत्र में निवेश करने की रुचि दिखाई है, वह विदेशी कंपनियों की सोच को दर्शाता है। सऊदी अरब की कंपनी अरामको ने भारत के पश्चिमी तट पर प्रस्तावित देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए समझौता कर लिया है लेकिन यहां तेल खोज में पैसा लगाने को यह तैयार नहीं है। सनद रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोमवार को दुनिया की इन दिग्गज तेल कंपनियों के प्रमुखों के साथ बैठक में परोक्ष तौर पर इस बात के लिए नाराजगी जताई थी कि ये भारत में तेल व गैस खोज में निवेश नहीं कर रही हैं। दूसरी तरफ पिछले 15 वर्षो में तेल खोज क्षेत्र को आकर्षक बनाने के लिए सरकार की तरफ से तीन बार नियमों को बदला जा चुका है। ओएएलपी नई पॉलिसी है जिसमें निजी कंपनियों के लिए कई सारी सहूलियतें हैं। लेकिन तमाम बड़ी कंपनियां इस प्रक्रिया से दूर ही रहीं। सरकार की तरफ से ऑफर किए गए 55 ब्लॉकों में से 41 वेदांता समूह को मिले हैं।


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