NBFCs ने RBI से की मार्च 2021 तक सभी ऋणों को एक बार पुनर्गठित करने की मांग, अतिरिक्त फंडिंग के लिए भी कहा
वर्तमान में आरबीआई द्वारा बैंकों और एनबीएफसी को दिसंबर 2020 तक के एमएसएई के मौजूदा लोन्स पर एक बार पुनर्गठन की अनुमति दी हुई है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) ने भारतीय रिज़र्व बैंक से कहा है कि उन्हें मार्च 2021 तक के सभी ऋणों का एक बार पुनर्गठन करने की अनुमति प्रदान की जाए, क्योंकि देनदारों के सामने कारोना वायरस महामारी और उसे रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के के कारण फडिंग की समस्या है। एनबीएफसी ने आरबीआई की मोराटोरियम अवधि को भी बढ़ाने की मांग की है। साथ ही एनबीएफसीज ने नियमों में राहत देने और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक(SIDBI) व नाबार्ड (NABARD)से अतिरिक्त फंडिंग की भी मांग की है।
एनबीएफसी के एक प्रतिनिधि निकाय वित्त उद्योग विकास परिषद (FIDC) के अनुसार, सोमवार को भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ बैठक में ये सुझाव इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने रखे थे। औद्योगिक संगठन ने कहा कि उनके सभी ग्राहक नकदी प्रवाह चक्र में व्यवधान का सामना कर रहे हैं, जो कि वित्त वर्ष के एक बड़े हिस्से में रह सकता है। सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स, ठेकेदार और लघु, छोटे व मध्यम उद्यम (MSMEs) शामिल हैं।
एफआईडीसी ने एक बयान में कहा, 'एसेट क्लासिफिकेशन को प्रभावित किये बिना, लोन पुनर्भुगतान शेड्यूलस, बढ़ी हुई लोन अवधि या ईएमआई के पुनर्गठन के लिए मार्च 2021 तक एक बार पुनर्गठन विंडो की अनुमति मिलनी चाहिए।' वर्तमान में आरबीआई ने बैंकों और एनबीएफसी को दिसंबर 2020 तक के एमएसएई के मौजूदा लोन्स पर एक बार पुनर्गठन की अनुमति दी हुई है। एनबीएफसी चाहती है कि एक बार पुनर्गठन की सभी देनदारों के लिए अनुमति मिलनी चाहिए। वहीं, एफआईडीसी ने कहा कि तीन महीने के मोराटोरियम ने देनदारों को कुछ राहत प्रदान की है, लेकिन वे चौथे महीने से अपने लोन चुकाने की स्थिति में नहीं हैं।
यहां बता दें कि आरबीआई बैंक लोन्स पर मोराटोरियम (स्थगन) को तीन महीने और आगे बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। देशव्यापी लॉकडान से प्रभावित लोगों और उद्योगों की मदद के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक इस पर विचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, इंडियन बैंक एसोसिएशन सहित कई जगहों से स्थगन को आगे बढ़ाने के बारे में सुझाव आए हैं।