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सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में FDI आकर्षित करने के लिए कर रही है कोशिशः नितिन गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किए बगैर औद्योगिक विकास और नौकरियों का सृजन नहीं किया जा सकता है। (PC ANI)

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 05:48 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 07:30 PM (IST)
सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में FDI आकर्षित करने के लिए कर रही है कोशिशः नितिन गडकरी
सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में FDI आकर्षित करने के लिए कर रही है कोशिशः नितिन गडकरी

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने के लिए प्रयास करेगी। इससे  कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था में नकदी की कमी का संकट दूर होगा। सड़क परिवहन, राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री ने कहा कि विभिन्न पेंशन फंड्स, इंश्योरेंस फंड्स और वित्तीय संस्थाओं से बातचीत जारी है। गडकरी ने कहा, ''इन्फ्रास्ट्रक्चर आर्थिक रूप से सबसे व्यवहारिक उद्योग है। परियोजनाओं के रिटर्न की आंतरिक दर बहुत अच्छी है। हम इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि इस सेक्टर में 100 फीसद एफडीआई की अनुमति दे दी गई है।'' 

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उन्होंने भारत में सड़कों के विकास पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा, ''हम इंश्योरेंस फंड, पेंशन फंड इत्यादि को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं वर्ल्ड बैंक, एडीबी से बातचीत जारी है...हम तेजी से उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।''  

उन्होंने निजी कंपनियों से सरकार के साथ काम करने का आग्रह करते हुए कहा कि कोरोनावायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही है और उसे लिक्विडिटी की जरूरत है।  

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गडकरी ने कहा कि इसके साथ ही कोविड-19 संकट को अवसर में बदला जाना चाहिए क्योंकि दुनिया अब भारत को निवेश के लिए उपयुक्त जगह मानने लगी है। उन्होंने कहा, ''हम इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अधिकतम निवेश प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। आज हाइवे, पावर, ट्रांसपोर्ट, वाटर, कम्युनिकेशन और अन्य सेक्टर्स में बहुत अधिक अवसर हैं।''  

गडकरी ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किए बगैर औद्योगिक विकास और नौकरियों का सृजन नहीं किया जा सकता है।  

मंत्री ने इसके अलावा लॉजिस्टिक पर आने वाली लागत में कमी लाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये के दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से दोनों महानगरों के बीच का ट्रेवल टाइम घटकर 28 घंटे रह जाएगा। इससे अपेक्षाकृत कम समय में अधिक कार्गो मूवमेंट हो सकेगा, जिससे लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी। 


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