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Digital Banking: नीति आयोग ने कहा, डिजिटल बैंकों को बढ़ावा देने के लिए नियामकीय ढांचे की जरूरत

Digital Banking नीति आयोग ने डिजिटल बैंकिंग के लिए नियामकीय ढांचा तैयार करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा है कि देश में इसके लिए टेक्नोलॉजी उपलब्ध है। जरूरत है तो केवल इसके लिए नियम-कानून बनाने की।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Published: Thu, 21 Jul 2022 10:32 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jul 2022 10:32 AM (IST)
Digital Banking: नीति आयोग ने कहा, डिजिटल बैंकों को बढ़ावा देने के लिए नियामकीय ढांचे की जरूरत
NITI Aayog report says Regulatory framework needed for promoting digital banks

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकार के थिंक टैंक कहे जाने वाले नीति आयोग (Niti Aayog) ने कहा है कि भारत में डिजिटल बैंकों (Digital Banks In India) की सुविधा के लिए प्रौद्योगिकी की कमी नहीं है और इसे बढ़ावा देने के लिए एक नियामकीय ढांचा तैयार करने की जरूरत है। 'डिजिटल बैंक: ए प्रपोजल फॉर लाइसेंसिंग एंड रेगुलेटरी रिजीम फॉर इंडिया' (Digital Banks: A Proposal for Licensing & Regulatory Regime for India) शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट में नीति आयोग ने देश में डिजिटल बैंक लाइसेंसिंग और नियामक व्यवस्था के लिए एक रोडमैप पेश किया है।

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यूपीआई (UPI) की सफलता को रेखांकित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में आधार ऑथेंटिफिकेशन 55 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। इससे पता चलता है कि भारत ओपन बैंकिंग व्यवस्था को संचालित करने में सक्षम है। ये दर्शाता है कि भारत में डिजिटल बैंकिंग को सपोर्ट करने के लिए प्रौद्योगिकी उपल्ब्ध है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल बैंकिंग के लिए नियामकीय ढांचे और नीतियों का खाका तैयार करने से भारत को फिनटेक में वैश्विक लीडर के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने का अवसर मिलता है, साथ ही साथ कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारत के सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) की सफलता से यह बात साफ हो गई है कि बाजार में पहले से स्थापित खिलाडियों को चुनौती दी जा सकती है। देश में यूपीआई लेन-देन 4 लाख करोड़ से रुपये से अधिक हो गया है।

रिपोर्ट में रिस्ट्रिक्टेड डिजिटल बिजनेस बैंक लाइसेंस और एक रिस्ट्रिक्टेड डिजिटल उपभोक्ता बैंक लाइसेंस की शुरुआत का सुझाव दिया गया है। इस लाइसेंस को प्राप्त करने वाला आवेदक, नियामक सैंडबॉक्स में सूचीबद्ध होता है और सैंडबॉक्स में डिजिटल बिजनेस बैंक/डिजिटल उपभोक्ता बैंक के रूप में परिचालन शुरू करता है। सैंडबॉक्स में लाइसेंसधारी के संतोषजनक प्रदर्शन के आधार पर प्रतिबंधों में ढील दी जा सकती है। पूंजी की आवश्यकता पर रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल बिजनेस बैंक को प्रतिबंधित चरण में 20 करोड़ रुपये की न्यूनतम चुकता पूंजी लाने की आवश्यकता होगी। सैंडबॉक्स से बाहर आकर कंप्लीट डिजिटल बिजनेस बैंक बनने के लिए 200 करोड़ रुपये लाने की आवश्यकता होगी।

रिपोर्ट द्वारा प्रस्तावित लाइसेंसिंग नियामक कार्यप्रणाली एक समान 'डिजिटल बैंक नियामक सूचकांक' पर आधारित है। इसमें चार चीजें शामिल हैं- प्रवेश बाधाएं; मुकाबला; व्यापार प्रतिबंध और तकनीकी तटस्थता। साइबर खतरों के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है, कि जिस तरह नेट बैंकिंग आदि सेवाओं में पारंपरिक बैंकों को तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, वैसे ही डिजिटल बैंक भी लगभग समान चुनौतियों का सामना करते हैं, जैसे फिशिंग, मालवेयर, स्पाइवेयर आदि। रिपोर्ट इस डोमेन में प्रचलित व्यापार मॉडल को भी मैप करती है और न्यू बैंकिंग के 'साझेदारी मॉडल' से पैदा हुई चुनौतियों पर प्रकाश डालती है।


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