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आयकर छूट की सीमा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने के पक्ष में नहीं है नीति आयोग

केंद्र सरकार को अगर नीति आयोग का सुझाव रास आया तो आगामी बजट में आयकर से छूट की मौजूदा सीमा नहीं बढ़ेगी

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 12 Jan 2017 11:27 AM (IST)Updated: Thu, 12 Jan 2017 01:03 PM (IST)
आयकर छूट की सीमा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने के पक्ष में नहीं है नीति आयोग

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। केंद्र सरकार को अगर नीति आयोग का सुझाव रास आया तो आगामी बजट में आयकर से छूट की मौजूदा सीमा नहीं बढ़ेगी। फिलहाल ढाई लाख रुपये तक की सालाना आय कर से मुक्त है। आयोग के अधिकारियों का मानना है कि आयकर छूट की मौजूदा सीमा को बरकरार रखने से करदाताओं का आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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सूत्रों ने कहा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने यह सुझाव दिया है। उनका यह भी कहना है कि ढाई लाख रुपये से पांच लाख रुपये के स्लैब को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया जाए। फिलहाल ढाई से पांच लाख तक की सालाना आमदनी 10 प्रतिशत टैक्स दर के दायरे में आती है। पांच लाख रुपये से अधिक आय पर 20 प्रतिशत की दर से आयकर देना होता है। उन्होंने सुझाव दिया है कि 10 लाख से अधिक की आय पर कर की दर मौजूदा 30 फीसद के स्थान पर महज 25 फीसद होनी चाहिए।

आयकरदाताओं के आधार को बढ़ाने के लिए यह सिफारिश की गई है। करदाता आधार बढ़ाने की जरूरत इसलिए है, क्योंकि अभी कुछ ही लोग आयकर देते हैं। वित्त मंत्रलय के अनुसार 125 करोड़ की आबादी वाले देश में वित्त वर्ष 2015-16 में मात्र 3.7 करोड़ करदाताओं ने ही आयकर रिटर्न दाखिल किया। इसमें से भी 99 लाख करदाता ऐसे थे, जिनकी सालाना आय ढाई लाख रुपये से कम थी। इसलिए उन्होंने टैक्स नहीं दिया। वहीं 1.95 करोड़ करदाताओं ने अपनी आय पांच लाख रुपये से कम बताई। 52 लाख करदाताओं ने वार्षिक आय पांच से 10 लाख रुपये के बीच दिखाई है। सिर्फ 24 लाख करदाता ऐसे हैं, जिन्होंने 10 लाख रुपये से अधिक सालाना आय घोषित की। ऐसे में कर आधार बढ़ाने की जरूरत है। आर्थिक समीक्षा में भी इस बात की सिफारिश की गई थी कि सरकार को आयकर से छूट की सीमा को नहीं बढ़ाना चाहिए।


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