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इकोनोमी को तेज रफ्तार के लिए सरकार का सबसे बड़ा दांव: कारपोरेट टैक्स कटौती के अलावा क्या रहा खास, जानिए

अर्थव्यवस्था के कई मोर्चो से मंदी की आ रही खबरों से चिंतित सरकार ने अब हर मोर्चे से इसके खिलाफ लामबंदी कर दी है।

By NiteshEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 08:42 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 08:42 PM (IST)
इकोनोमी को तेज रफ्तार के लिए सरकार का सबसे बड़ा दांव: कारपोरेट टैक्स कटौती के अलावा क्या रहा खास, जानिए
इकोनोमी को तेज रफ्तार के लिए सरकार का सबसे बड़ा दांव: कारपोरेट टैक्स कटौती के अलावा क्या रहा खास, जानिए

हरिकिशन शर्मा, पणजी (गोवा)। अर्थव्यवस्था के कई मोर्चो से मंदी की आ रही खबरों से चिंतित सरकार ने अब हर मोर्चे से इसके खिलाफ लामबंदी कर दी है। कर्ज की दर घटाने और बैंको की तरफ से पर्याप्त कर्ज बांटने की व्यवस्था करने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने व भारत को एक आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर स्थापित करने के उद्देश्य से कारपोरेट टैक्स में एतिहासिक कटौती का ऐलान किया। घरेलू कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स की दर 30 फीसद से घटा कर 22 फीसद की गई है जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश करने वाली नई घरेलू कंपनियों को मात्र 15 फीसद की दर से ही कारपोरेट टैक्स देना होगा। हालांकि घटी हुई इस दर का लाभ लेने वाली कंपनियों को टैक्स छूट के रूप में दूसरे प्रोत्साहनों का लाभ नहीं मिलेगा। लेकिन खास बात यह है कि ऐसी घरेलू कंपनियों को मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (मैट) भरने की जरूरत भी नहीं होगी। इन सभी फैसलों को लागू करने के लिए सरकार की तरफ से अध्यादेश जारी किये गये हैं। बहरहाल, इन छूटों की वजह से चालू वित्त वर्ष के दौरान केंद्र सरकार के खजाने पर भारी भरकम 1,45,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

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मोदी सरकार की तरफ से कारपोरेट सेक्टर को दीवाली से पहले दिए गये इस बोनांजा का चौतरफा असर दिखा। कारपोरेट जगत ने इसे पिछले दो दशकों की सबसे बेहतरीन घोषणा करार दिया तो शेयर बाजार ने 1921 अंकों की छलांग लगा कर निवेशकों के लौटते भरोसे को बताया। देश में विदेशी निवेश बढ़ने की संभावना देख भारतीय रुपये ने भी 66 पैसे की मजबूती दर्ज की। बीते एक महीने में यह चौथा मौका है जब मोदी सरकार ने विकास दर की रफ्तार बढ़ाने के लिए उपायों का ऐलान किया है।

जब से देश की विकास दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर छह साल के न्यूनतम स्तर पांच फीसद पर आने की सूचना सामने आई है तभी से इस तरह के पैकेज की उम्मीद की जा रही थी। इन आंकड़ों में कृषि क्षेत्र से लेकर मैन्यूफैक्चरिंग तक अलग-अलग क्षेत्रों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। उद्योग जगत काफी लंबे समय से कारपोरेट टैक्स में कटौती की मांग कर रहा था, हालांकि आम बजट 2019-20 के बाद यह उम्मीद छोड़ दी गई थी। यही वजह है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को गोवा में जीएसटी काउंसिल की 37वीं बैठक शुरु होने से ठीक पहले जब यह महत्वपूर्ण घोषणा की तो निवेशकों और उद्योग जगत में जैसे नई ऊर्जा का संचार हुआ। सीतारमण ने कहा कि सरकार इनकम टैक्स एक्ट 1961 और फाइनेंस(नंबर 2) एक्ट 2019 में कुछ बदलाव करने के लिए टैक्सेशन लॉज (अमेंडमेंट) ऑर्डीनेंस 2019 लाई है।

सीतारमण ने कहा, ''विकास दर और निवेश को बढ़ावा देने के लिए इनकम टैक्स एक्ट में एक नया प्रावधान जोड़ा है जो वित्त वर्ष 2019-20 से लागू होगा। इसके तहत किसी भी घरेलू कंपनी को 22 फीसद की दर से इनकम टैक्स का भुगतान करने का विकल्प मिलेगा। इसके लिए शर्त यह होगी कि वह कंपनी किसी तरह के टैक्स छूट प्रोत्साहनों का लाभ नहीं ले सकेगी। ऐसी कंपनियों के लिए सरचार्ज और सेस सहित इनकम टैक्स की प्रभावी दर 25.17 फीसद होगी। साथ ही इन कंपनियों को मैट देने की जरूरत भी नहीं होगी।''

फिलहाल कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स की स्टैच्युरी दर सब कुछ मिलाकर लगभग 35 फीसद बैठती है लेकिन टैक्स छूट के लाभ को संज्ञान में लेने के बाद प्रभावी दर औसतन 29.49 फीसद पड़ती है। सरकारी कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स की प्रभावी दर 28.29 फीसद तथा निजी कंपनियों के लिए 29.73 फीसद है।

मुश्किल दौर से गुजर रहे मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को राहत देते हुए सीतारमण ने घोषणा की कि एक अक्टूबर 2019 या उसके बाद बनने वाली नयी घरेलू कंपनियां को नए निवेश पर सिर्फ 15 फीसद की दर से इनकम टैक्स का भुगतान करने का विकल्प मिलेगा। हालांकि यह लाभ सिर्फ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा जो किसी प्रकार की टैक्स छूट का लाभ नहीं ले रहीं हैं। इन कंपनियों को उत्पादन 31 मार्च 2023 से पहले शुरु करना होगा। ऐसी कंपनियों के लिए सैस व सरचार्ज सहित इनकम टैक्स की प्रभावी दर 17.01 फीसद होगी और इन्हें मैट भी नहीं देना पड़ेगा। फिलहाल इन कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स की प्रभावी दर लगभग 27.83 फीसद है और गैर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के लिए यह दर 30.55 फीसद है।

वित्त मंत्री ने ताया कि जो कंपनियां कारपोरेट टैक्स की घटी हुई दरों का चुनाव नहीं करती हैं और टैक्स में छूट के रूप में मिल रहे प्रोत्साहनों को प्राप्त करना जारी रखती है तो वह पुरानी दर से ही कारपोरेट टैक्स का भुगतान कर सकती है। हालांकि ऐसी कंपनियों को मिल रही टैक्स छूट की मियाद जब पूरी हो जाये तो ये कारपोरेट टैक्स का भुगतान घटी हुई दरों के साथ करने का विकल्प चुन सकती हैं। एक बार यह विकल्प चुनने के बाद उन्हें 22 फीसद की दर से कारपोरेट टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। जो कंपनियां मौजूदा टैक्स छूट को प्राप्त करना जारी रखती हैं, उनके लिए मैट की दर 18.5 फीसद से घटकर 15 फीसद रह जाएगी।

सरकार की गंभीरता का पता इस बात से भी चलता है कि आम बजट 2019-20 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) पर बढ़ाये गये सरचार्ज को वापस लेने और एक कंपनी में इक्विटी शेयर बेचने, इक्विटी ओरिएंटेड फंड की यूनिट बेचने या बिजनेस ट्रस्ट की की यूनिट बेचने पर कैपिटल गेंस टैक्स में व्यक्तियों, हिन्दू अविभाजित परिवारों, एसोसिएशन ऑफ पर्सन के लिए राहत का ऐलान भी किया। अब इस तरह के ट्रांजैक्शन पर कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगेगा। इसी तरह पांच जुलाई 2019 से पहले बाय-बैक की घोषणा कर चुकी लिस्टेड कंपनियों को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह की कंपनियों को शेयर बॉय-बैक करने पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

गौरतलब है कि मोदी सरकार इसके पहले भी कारपोरेट टैक्स की दर में कटौती कर चुकी है। पहले 50 करोड़ रुपये तक सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स की दर 30 फीसद से घटाकर 25 फीसद की गई, फिर तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2018-19 सालाना 250 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स की दर 30 फीसद से घटाकर 25 फीसद करने का ऐलान किया था। इस साल पांच जुलाई को पेश किये गये आम बजट 2019-20 में सरकार ने सालाना 400 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाली कंपनियों को भी यह लाभ देने की घोषणा की थी।

मुख्य घोषणाएं :

-कारपोरेट टैक्स की दर घटा कर 22 फीसद किया, प्रभावी दर 25.17 फीसद

-नई घरेलू कंपनियों के लिए टैक्स की नई दर 15 फीसद, प्रभावी दर 17.01 फीसद

-सरचार्ज व सेस देने वाली कंपनियों को मैट से राहत, मैट की दर 18.5 फीसद से घटा कर 15 फीसद

-बजट में एफपीआइ पर बढ़ाये गये सरचार्ज को वापस लिया, शेयर बेचने पर नहीं लगेगा ट्रांजैक्शन गेन्स टैक्स

-जुलाई, 2019 तक शेयर बाई बैक करने की घोषणा कर चुकी कंपनियों पर नहीं लगेगा बाई बैक टैक्स

-इन घोषणाओं से सरकार के राजस्व में 1.45 लाख करोड़ रुपये की हानि

कपंनियों की औसतन टैक्स दर

आय--टैक्स की दर (फीसद में)

एक करोड़ रुपये तक--30.90

एक करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक--33.6

10 करोड़ रुपये से अधिक--34.61

कंपनियों के लिए प्रभावी टैक्स दर

टैक्स पूर्व लाभ---कंपनियों की संख्या---प्रभावी टैक्स की दर

(फीसद में)

जीरो से कम---3,62,289--00

जीरो--88,214---00

0-एक करोड़ रुपये--3,45,458 ---26.39

1-10 करोड़ रुपये---35,745 --27.38

10-50 करोड़ रुपये---6,670 --29.09

50-100 करोड़ रुपये---1,162 --28.44

100-500 करोड़ रुपये---1,236 --28.62

500 करोड़ से अधिक---373 --26.30

कुल--- 8,41,687---29.49


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