Move to Jagran APP

नए ITR फॉर्म नोटिफाइड: नौकरीपेशा देंगे सैलरी ब्रेकअप की जानकारी, पढ़ें अन्य बदलाव

सीबीडीटी की ओर से जारी वक्तव्य में यह कहा गया है कि कुछ करदाताओं को छोड़कर सभी सात तरह के फॉर्म ऑनलाइन भरे जाएंगे।

By Shubham ShankdharEdited By: Published: Fri, 06 Apr 2018 10:28 AM (IST)Updated: Fri, 06 Apr 2018 11:56 AM (IST)
नए ITR फॉर्म नोटिफाइड: नौकरीपेशा देंगे सैलरी ब्रेकअप की जानकारी, पढ़ें अन्य बदलाव
नए ITR फॉर्म नोटिफाइड: नौकरीपेशा देंगे सैलरी ब्रेकअप की जानकारी, पढ़ें अन्य बदलाव

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त वर्ष 2018 का आयकर रिटर्न भरने के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) ने गुरुवार को नए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म जारी किए हैं। सीबीडीटी की ओर से अधिसूचित किए नए फॉर्म में कुछ नए कॉलम जोड़े गए हैं, जबकि कुछ को हटाया गया है। सबसे अहम बदलाव यह है कि अब नौकरीपेशा लोगों को इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय अपना सैलरी ब्रेकअप देना होगा। वहीं व्यापारियों को जीएसटी नंबर और टर्नओवर को जानकारी रिटर्न भरते समय देनी होगी।

loksabha election banner

सीबीडीटी की ओर से जारी वक्तव्य में यह कहा गया है कि कुछ करदाताओं को छोड़कर सभी सात तरह के फॉर्म ऑनलाइन भरे जाएंगे। विभाग का कहना है कि नए फॉर्म में केवल कॉलम को तर्कसंगत बनाया गया है। बाकी इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की पूरी प्रक्रिया पिछले साल जैसी ही है।

सबसे जरूरी ITR-1 या सहज को नौकरीपेशा करदाताओं को भरना होगा। इस फॉर्म का इस्तेमाल पिछले साल करीब 3 करोड़ करदाताओं ने किया था। इस फॉर्म में अलग-अलग क्षेत्रों के वेतन विवरणों का उल्लेख करना होगा और उसे ब्रेकअप फॉर्मेट में बताना होगा। एक वरिष्ठ कर अधिकारी ने बताया है कि कर कटौती की स्पष्टता के लिए अब आईटीआर में इनका उल्लेख करना होगा।

सीबीडीटी का कहना है कि आईटीआर-1 को वही व्यक्तिगत करदाता भर सकता है, जिसका शहर में मकान है और उसे सैलरी समेत अन्य प्रॉपर्टी के किराए या ब्याज से 50 लाख तक की आमदनी होती है। सीबीडीटी की प्रवक्ता सुरभि अहलूवालिया ने बताया, इसके अलावा, वेतन एवं घर सम्पत्ति से संबंधित भागों को तर्कसंगत और वेतन के बुनियादी विवरण प्रस्तुत करना होगा और संपत्ति से होने वाली आय के उल्लेख को अनिवार्य कर दिया गया है।

ऐसे इंडिविजुअल और HUF जिन्हें किसी अन्य स्रोत से जैसे बिजनेस या पेशे से आमदनी होती है उनके लिए भी आईटीआर-2 को तर्क संगत बनाया गया है। सीबीडीटी की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया, “व्यक्तियों और एचयूएफ जिन्हें मुख्य व्यवसाय या पेशे से आमदनी (अनुमानित आय मामलों में) हो रही है उन्हें आईटीआर-1 और आईटीआर 4 भरना होगा।”

आईटीआर 4 के अंतर्गत करदाता, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन्स से आय प्राप्त हो रही है उन्हें अपना जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर और अपना टर्नओवर भी बताना होगा। अनिवासी करदाताओं के मामले में, "किसी भी एक" विदेशी बैंक खाते के विवरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता को जारी रखा गया है।

सीबीडीटी के बयान में आगे कहा गया है कि आकलन वर्ष 2017-18 के लिए आईटीआर में एक निश्चित अवधि (2016 की नोटबंदी के दौरान) के दौरान जो नकदी जमा की जानकारी उपलब्ध करवाने की अनिवार्यता रखी गई थी अब उसे खत्म कर दिया गया है। वहीं नए फॉर्म में 12 अंकों का आधार उपलब्ध करवाने का कॉलम भी उपलब्ध है जैसा कि पिछले साल के फॉर्म में भी दिया गया था।

सीबीडीटी ने कहा कि पिछले साल के दौरान किसी भी समय 80 साल या इससे अधिक के व्यक्तिगत करदाताओं या एक व्यक्ति या एचयूएफ जिसकी आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं रही है, जिन्होंने कोई भी रिफंड क्लेम नहीं किया है वो पेपर फॉर्म में आईटीआर फाइल कर सकते हैं। वो आईटीआर-1 और आईटीआर 4 का इस्तेमाल कर सकते हैं। आईटीआर फाइलिंग की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.