Axis Bank और Standard Chartered के सीईओ को NCLT ने किया तलब, न आने पर हो सकती हैं गिरफ्तारी
NCLT ने कहा है कि अगर दोनों सीईओ उस दिन व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित नहीं हुए तो उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिए जाएंगे।
मुंबई, पीटीआइ। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई पीठ ने एक्सिस बैंक और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के सीईओ को एक मामले में अगली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने को कहा है। पीठ ने इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) से जुड़े इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को रखी है। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि अगर दोनों सीईओ उस दिन व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित नहीं हुए, तो उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिए जाएंगे। हालांकि इन बैंकों के सूत्रों ने कहा कि पीठ ने अब से पहले कभी भी दोनों को सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने का आदेश नहीं दिया था।
एक्सिस बैंक के अमिताभ चौधरी और स्टैंडर्ड चार्टड इंडिया की जरीन दारूवाला के खिलाफ अवमानना मामलों की सुनवाई करते हुए एनसीएलटी की भास्कर पंटुला मोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश दिया। पीठ का कहना था कि दोनों अब तक की सुनवाई में कभी भी उपस्थित नहीं हुए हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि ये बैंक इन अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर विचार कर रहे हैं। एक्सिस बैंक के एक प्रवक्ता ने कहा कि बैंक ने ट्रिब्यूनल के आदेश की कभी अवमानना नहीं की, क्योंकि ट्रिब्यूनल ने उसके सीईओ को इससे पहले कभी उपस्थित रहने को नहीं कहा है।
अपने बयान में एक्सिस बैंक ने कहा कि मामला आइएलएंडएफएस के पूर्व एमडी रमेश चंद्र बावा और उनके परिवार द्वारा उनके बैंक की एक शाखा में संचालित अकाउंट से संबंधित है। बैंक कोर्ट और प्राधिकरणों के सभी फैसलों का बेहद सम्मान करता है। बैंक इस बारे में एनसीएलटी द्वारा भेजा गया कोई भी आदेश मिलने से इन्कार करता है। हम उचित कदम उठाएंगे। स्टैंडर्ड चार्टर्ड इंडिया के प्रवक्ता ने भी कहा कि हमें अभी तक एनसीएलटी के आदेश की प्रति नहीं मिली है। यह प्रति मिल जाने के बाद हम आगे की कार्रवाई के बारे में विचार करेंगे।
क्या है मामला : एनसीएलटी ने एक्सिस बैंक और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में आइएलएंडएफएस के पूर्व एमडी रमेश चंद्र बावा और उनके परिवार के खाते सील कर दिए थे। ये खाते 3 दिसंबर 2018 को सील किए गए थे। इन बैंकों पर आरोप है कि इन्होंने खाते सील करने के आदेश और उसकी प्रति मिलने के बीच के वक्त में बावा और उनके परिवार को खातों का संचालन करने दिया। इतना ही नहीं, आरोप है कि इस अवधि में बावा और उनके परिवार को इन दोनों बैंकों ने उनके लॉकर तक भी पहुंच सुनिश्चित की।