सरकार कर सकेगी दस निदेशकों की नियुक्ति, NCLT ने दी इजाजत
एनसीएलटी ने यूनिटेक के चेयरमैन रमेश चंद्रा और दोनों एमडी- संजय चंद्रा और अजय चंद्रा समेत सभी आठ डायरेक्टरों को निलंबित करने का आदेश दिया
नई दिल्ली (पीटीआई)। देश की दूसरी सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी रही यूनिटेक को कुप्रबंधन और फंड के दुरुपयोग से जुड़े मामले में बड़ा झटका लगा है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने यूनिटेक के सभी मौजूदा आठ डायरेक्टरों को निलंबित करने का फैसला सुनाया है। साथ ही सरकार को बोर्ड में 10 निदेशक नामित करने की भी इजाजत दे दी है। करीब 20 हजार मकान खरीदारों के हितों की रक्षा का हवाला देते हुए सरकार ने कंपनी का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए एनसीएलटी में अपील की थी।
ट्रिब्यूनल के निर्देश पर सरकार ने एक प्रोजेक्ट के लिए जुटाए गए फंड निकालकर दूसरी जगह इस्तेमाल करने के मामले में जांच की थी। इसमें कंपनी के प्रमुख लोगों की ओर से गलत तरीके से फायदा उठाने की बात सामने आई थी। धोखाधड़ी, सरकारी एजेंसियों को गुमराह करने और यूनिटेक से जुड़े छोटे निवेशकों से विश्वासघात जैसे मामलों के भविष्य में दोहराव से बचने के लिए सरकार ने प्रबंधन अपने हाथ में लेने का प्रस्ताव टिब्यूनल में दिया। सरकार का कहना था कि इस मामले में कंपनी को पूरी तरह बंद कर दिया जाना चाहिए।
हालांकि छोटे खरीदारों और जमाकर्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए कंपनी का प्रबंधन सरकार अपने हाथ में लेना चाहती है। मामले की सुनवाई एनसीएलटी के प्रमुख जस्टिस एमएम कुमार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने की। पीठ ने कहा, ‘हम इस बात से सहमत हैं कि यूनिटेक की गतिविधियां कंपनी कानून के प्रावधानों के अनुकूल नहीं रहीं। पहली नजर में यह भी देखा जा सकता है कि कंपनी का कामकाज बड़े पैमाने पर आम लोगों के हितों के खिलाफ था।’
एनसीएलटी ने कंपनी के चेयरमैन रमेश चंद्रा और दोनों एमडी- संजय चंद्रा और अजय चंद्रा समेत सभी आठ डायरेक्टरों को निलंबित करने का आदेश दिया। ट्रिब्यूनल ने इन सभी को अपनी या कंपनी की किसी भी संपत्ति को बेचने से रोक दिया है। सरकार को 20 दिसंबर को अगली सुनवाई में 10 डायरेक्टरों के नाम देने होंगे। इनकी नियुक्ति पर टिब्यूनल मुहर लगाएगा।
सुबह सुनवाई के दौरान यूनिटेक का कोई प्रतिनिधि एनसीएलटी में उपस्थित नहीं था। दोपहर बाद कंपनी ने टिब्यूनल में यह कहते हुए अपना विरोध जताया कि 20 नवंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए ट्रिब्यूनल ऐसा कोई फैसला नहीं कर सकता। इस पर एनसीएलटी ने कहा कि सरकार द्वारा गठित नया निदेशक बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के सभी फैसलों से बंधा रहेगा। टिब्यूनल ने निलंबित निदेशकों को हफ्तेभर में अपना पक्ष रखने का भी आदेश दिया है।
निवेशकों से पैसा मिलने के बाद भी हाउसिंग प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ाने के मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अप्रैल में संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को हिरासत में ले लिया था। उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल में सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर अंत तक कंपनी को 750 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया है।
ट्रिब्यूनल के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कंपनी ने कहा कि प्रबंधन में किसी तरह की दखल से सभी संबद्ध पक्षों के हितों का नुकसान होगा। दो मैनेजिंग डायरेक्टरों की न्यायिक हिरासत के बाद भी कंपनी फंडिंग का इंतजाम करने और कंस्ट्रक्शन चालू रखने के प्रयास में लगी है। यूनिटेक पर करीब 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। कंपनी करीब 70 प्रोजेक्टों में 16 हजार से ज्यादा फ्लैट ग्राहकों को नहीं दे पाई है।
सत्यम कंप्यूटर्स के लिए भी उठाया गया था ऐसा ही कदम
केंद्र सरकार ने करीब दशक भर पहले सत्यम घोटाले में भी अपनी तरफ से निदेशकों की नियुक्ति का ऐसा ही कदम उठाया था। उस वक्त देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट घपले की शिकार बनी आइटी कंपनी सत्यम कंप्यूटर्स को सरकारी कब्जे में लेने के बाद इसे टेक म¨हद्रा को बेच दिया गया था। कुछ दिनों तक यह म¨हद्रा सत्यम के नाम से अस्तित्व में बनी रही। बाद में इसका टेक म¨हद्रा में पूरी तरह से विलय हो गया।