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एनबीसीसी में 15 फीसद हिस्सेदारी बेच 1706 करोड़ जुटाएगी सरकार

केंद्र सरकार ने एनबीसीसी में विनिवेश का फैसला किया है। पीएम की अध्यक्षता में कैबिनेट की आर्थिक समिति ने मुहर लगा दी है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 14 Jul 2016 12:35 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jul 2016 06:57 AM (IST)
एनबीसीसी में 15 फीसद हिस्सेदारी बेच 1706 करोड़ जुटाएगी सरकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार ने नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया है। केंद्र के इस कदम से सरकारी खजाने में 1,706 करोड़ रुपये आने का अनुमान है। फिलहाल एनबीसीसी में सरकार की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है, जो इस विनिवेश के बाद घटकर 75 प्रतिशत रह जाएगी।

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एनबीसीसी के कर्मचारियों को शेयर पांच प्रतिशत छूट पर मिलेंगे। केंद्र ने आइटीआइ लिमिटेड के शेयर स्पेशल नेशनल इन्वेस्टमेंट फंड में ट्रांसफर करने की मंजूरी भी दे दी है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की आर्थिक मामलों संबंधी समिति (सीसीईए) ने बुधवार को इन आशय के प्रस्तावों पर मुहर लगा दी। एनबीसीसी पूर्णत: सरकारी स्वामित्व वाला सार्वजनिक उपक्रम है जो शहरी विकास मंत्रालय के अधीन आता है। इसका गठन 1960 में हुआ था। फिलहाल एनबीसीसी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 14,274 करोड़ रुपये है।

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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार को एनबीसीसी के विनिवेश से 1,706 करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद है। यह राशि बढ़ भी सकती है। एनबीसीसी के कर्मचारियों को 5 प्रतिशत छूट के साथ अतिरिक्त शेयर उपलब्ध कराए जाएंगे।सेबी के नियमों के अनुसार शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों में कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सेदारी पब्लिक की होनी चाहिए। इसीलिए सरकार ने एनबीसीसी की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का निर्णय किया है। इसके बाद एनबीसीसी में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 75 प्रतिशत रह जाएगी। इससे पूर्व सरकार मार्च, 2012 में एनबीसीसी का आइपीओ लेकर आई थी। तब सरकार ने 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 124 करोड़ रुपये जुटाए थे।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के माध्यम से 56,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें से 36,000 करोड़ रुपये सार्वजनिक उपक्रमों में आंशिक हिस्सेदारी बेचकर तथा 20,500 करोड़ रुपये रणनीतिक बिक्री से जुटाए जाने हैं। पिछले साल सरकार विनिवेश के माध्यम से धनराशि जुटाने के बजटीय लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई थी।

एक अन्य अहम फैसले में सीसीईए ने सार्वजनिक उपक्रम आइटीआइ लिमिटेड के शेयर स्पेशल नेशनल इन्वेस्टमेंट फंड में ट्रांसफर करने संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। आधिकारिक बयान के अनुसार फरवरी 2014 में कैबिनेट से मंजूर किए गए रिवाइवल प्लान के अनुरूप जब भी आइटीआइ को पूंजी अनुदान दिया जाएगा, तब इसके कुछ शेयर राष्ट्रपति के पास से एसएनआइएफ में ट्रांसफर हो जाएंगे।आइटीआइ लिमिटेड की वित्तीय स्थिति बेहद खराब है। 31 मार्च 2015 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में इसे 5,166 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। तत्कालीन संप्रग सरकार ने फरवरी 2014 में इसे 4,156 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। वर्ष 2014-15 के दौरान इसे 192 करोड़ रुपये की राशि दी गई थी।


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