औद्योगिक विकास के लिए नहीं होगी जमीन की कमी, नेशनल लैंड मैनेजमेंट कॉरपोरेशन का होगा गठन
प्रस्ताव के मुताबिक एनएलएमसी सरकारी संपदा के प्रबंधन का काम करेगी जो केंद्र सरकार और सार्वजनिक कंपनियों की जमीन का ब्योरा रखेगी।
नई दिल्ली, राजीव कुमार। औद्योगिक विकास में सबसे बड़ी बाधा जमीन को लेकर आती है। नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन की टास्क फोर्स कमेटी ने इसे दूर करने के लिए सरकार को नेशनल लैंड मैनेजमेंट कॉरपोरेशन (एनएलएमसी) बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस कॉरपोरेशन के गठन से सरकार को वित्तीय लाभ होने के साथ औद्योगिक विकास के लिए आसानी से जमीन भी मिल सकेगी। प्रस्ताव के मुताबिक एनएलएमसी सरकारी संपदा के प्रबंधन का काम करेगी जो केंद्र सरकार और सार्वजनिक कंपनियों की जमीन का ब्योरा रखेगी। जमीन के बदले सरकार को वित्तीय लाभ दिलाने का काम भी एनएलएमसी का होगा।
अभी केंद्र सरकार के साथ रेलवे, रक्षा जैसे विभागों की जमीन की देखरेख और उसके व्यावसायिक विकास के लिए अलग से कोई विभाग या संस्था नहीं है। कई विभागों को उनकी खाली जमीन की पूरी जानकारी तक नहीं है। उनकी जमीन का अतिक्रमण भी कर लिया गया है। टास्क फोर्स कमेटी के मुताबिक अब सरकार के सभी विभागों के साथ सरकारी कंपनियों की खाली और इस्तेमाल हो रही जमीन की देखरेख के लिए अलग से संस्था बनाने की जरूरत है। इसका फायदा यह होगा कि सरकार की सभी जमीन का लेखा-जोखा रहेगा और उनका व्यावसायिक इस्तेमाल हो सकेगा।
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में उसके इस्तेमाल के साथ जरूरत पड़ने पर उससे वित्तीय इंतजाम भी किए जा सकेंगे जिसे सरकारी परियोजना या सार्वजनिक कंपनियों के विकास में लगाया जा सकेगा। प्रस्ताव के मुताबिक इस काम के लिए सबसे पहले सरप्लस लैंड (अतिरिक्त जमीन) की पहचान करनी पड़ेगी। सरप्लस लैंड वैसी भूमि है जो खाली पड़ी है और भविष्य में भी जिसके इस्तेमाल के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है।
एक बार सरप्लस लैंड की पहचान हो जाने पर बाजार व अन्य सरकारी एजेंसियां इसकी मांग कर सकती है। इससे सरकार को वित्तीय फायदा होगा।प्रस्ताव के मुताबिक एनएलएमसी स्पेशल परपस व्हीकल (एसपीवी) के माध्यम से सरकार की जमीन को लीज पर मुहैया करा सकती है या फिर उसकी बिक्री के विकल्प पर भी विचार कर सकती है। इस एसपीवी में विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित पेशेवर शामिल किए जा सकते हैं। वित्त और रियल एस्टेट क्षेत्र के स्वतंत्र निदेशकों के साथ एक प्रोफेशनल सीईओ की नियुक्ति की जा सकती है। एसपीवी के माध्यम से ही जमीन की नीलामी और उसके वित्तीय पोषण का काम किया जाएगा।