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Modi govt 8 Years: पीएम मोदी के फैसलों से बदला माहौल, आर्थिक सुधार से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा भारत लेकिन चुनौतियां भी कायम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आठ साल के कार्यकाल में लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं जिससे भारत में कारोबारी माहौल बदला है। सरकार के आर्थिक सुधार से भारत ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है। हालांकि अभी भी कई चुनौतियां कायम हैं...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 10:43 PM (IST)Updated: Sat, 28 May 2022 07:05 AM (IST)
Modi govt 8 Years: पीएम मोदी के फैसलों से बदला माहौल, आर्थिक सुधार से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा भारत लेकिन चुनौतियां भी कायम
पीएम मोदी के आठ साल के कार्यकाल में देश में कारोबारी माहौल बना है। (File Photo)

राजीव कुमार, नई दिल्ली। वर्ष 2014 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.04 लाख करोड़ डालर का था जो वर्ष 2019 तक 2.87 लाख करोड़ डालर हो गया। हालांकि कोरोना महामारी की वजह से जीडीपी में थोड़ी कमी आई है, लेकिन चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का जीडीपी तीन लाख करोड़ डालर को पार कर सकता है। आर्थिक विकास की बदौलत भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आठ साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए।

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बदलाव की ओर बढ़े कदम

इसमें जीएसटी लागू करने से लेकर, सभी गांवों का विद्युतीकरण, जनधन योजना, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, पीएलआइ स्कीम, दिवालिया कानून, ईज आफ डूइंग बिजनेस, डिजिटलीकरण जैसे सुधार कार्यक्रम प्रमुख रूप से शामिल हैं। वित्तीय समावेश के लिए प्रधानमंत्री जनधन योजना की शुरुआत की गई और इस योजना के तहत 45.41 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके हैं और इनमें 1,67,145.80 करोड़ रुपये जमा हैं।

421 अरब डालर का निर्यात

मेक इन इंडिया और पीएलआइ स्कीम का फायदा यह हुआ कि वस्तुओं के निर्यात में बढ़ोतरी होने लगी। पिछले आठ साल में वस्तुओं के निर्यात में 100 अरब डालर से अधिक की बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2013-14 में 312 अरब डालर का निर्यात किया गया था और जो वर्ष 2021-22 में आरबीआइ के आंकड़ों के मुताबिक 421 अरब डालर का रहा।

दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश

निर्यात बढ़ने से किसानों को भी फायदा हुआ, क्योंकि पिछले आठ सालों में भारत कई प्रकार के खाद्य पदार्थों का पहला या दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया। इससे कृषि निर्यात की हिस्सेदारी वस्तुओं के कुल निर्यात में 15 प्रतिशत से अधिक हो गई। आयात में भी लगभग 150 अरब डालर का इजाफा हुआ जो इस बात की तरफ इंगित करता है कि घरेलू खपत में कितनी वृद्धि हुई है।

पीएलआइ के तहत अब तक आ चुके हैं 2.5 लाख करोड़ के निवेश

दो साल पहले 15 सेक्टर में प्रोडक्शन ¨लक्ड स्कीम (पीएलआइ) की शुरुआत हुई थी, जिसके तहत अब तक 2.5 लाख करोड़ के निवेश आ चुके हैं। अगले पांच साल में पीएलआइ स्कीम से 28.15 लाख करोड़ रुपये के निवेश और और 64 लाख से अधिक नौकरियां निकलने की उम्मीद है। पीएलआइ स्कीम से आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मदद मिलेगी।

वैश्विक निवेश का वातावरण हुआ तैयार

पीएलआइ जैसी स्कीम को सफल बनाने के लिए पहले से ही तैयारी की जा रही थी। वर्ष 2017 में जीएसटी लागू किया गया। जीएसटी लागू होने से वैश्विक निवेश का वातावरण तैयार हुआ। परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब डालर का अब तक सर्वाधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) रहा जबकि वित्त वर्ष 2014-15 में सिर्फ 45.15 अरब डालर का एफडीआइ आया था।

...लेकिन अभी-अभी चुनौतियां हैं कायम

इस सबके बीच जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी को बढ़ाने की चुनौती अब भी कायम है। इसके बगैर रोजगार में स्थायी बढ़ोतरी लाना संभव नहीं है। खाद्य तेल की जरूरत को पूरा करने के लिए भारत अब भी काफी हद तक आयात पर निर्भर करता है। कोरोना महामारी और अब वैश्विक उथल-पुथल से महंगाई के साथ सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ रहा है। राजकोषीय घाटा इस साल भी 6.5 प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान है जो बाद में सरकार के लिए चुनौती बन सकती है। 


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