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Moody's ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बढ़ाया भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान, हालिया वित्तीय पैकेज को बताया फायदेमंद

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह सरकार ने 2.7 लाख करोड़ रुपये का नए वित्तीय पैकेज की घोषणा की थी। मूडीज ने कहा कि ताजा उपाय मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और रोजगार निर्माण को ध्यान में रखते हुए हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 02:41 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 08:19 AM (IST)
Moody's ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बढ़ाया भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान, हालिया वित्तीय पैकेज को बताया फायदेमंद
अर्थव्यवस्था के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर p c: Flickr

नई दिल्ली, पीटीआइ। रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service) ने गुरुवार को भारत की जीडीपी ग्रोथ के लिए अपने अनुमान को बढ़ा दिया है। रेटिंग एजेंसी ने मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को बढ़ाकर 10.6 फीसद हो गया है। इससे पहले एजेंसी ने -11.5 फीसद का अनुमान जताया था। हालिया प्रोत्साहन पैकेज में मैन्यूफैक्चरिंग और  रोजगार निर्माण को प्राथमिकता देने और दीर्घकालिक वृद्धि पर फोकस रहने के चलते यह अनुमान बढ़ाया गया है। 

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गौरतलब है कि पिछले सप्ताह सरकार ने 2.7 लाख करोड़ रुपये के नए वित्तीय पैकेज की घोषणा की थी। मूडीज ने कहा कि ताजा उपाय मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और रोजगार निर्माण को ध्यान में रखते हुए किये गए हैं। साथ ही यह पैकेज इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश, नकदी की उपलब्धता और तनाव वाले सेक्टर्स को सपोर्ट करने के लिए हैं।

मूडीज ने आगे कहा कि वित्तीय पैकेज में किये गए उपायों का जीडीपी ग्रोथ पूर्वानुमानों पर सकारात्मक असर पड़ा है। मूडीज ने कहा, ‘हमने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपने वास्तविक, मुद्रास्फीति समायोजित जीडीपी पूर्वानुमान को संशोधित कर -11.5 फीसद से बढ़ाकर -10.6 फीसद कर दिया है।’

साथ ही रेटिंग एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष के लिए भी भारत की जीडीपी ग्रोथ के अपने अनुमान को बढ़ा दिया है।रेटिंग एजेंसी के अनुसार, अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 10.8 फीसद है, जबकि पहले इसके 10.6 फीसद रहने का अनुमान जताया गया था।

रेटिंग एजेंसी ने कहा, 'हमारा अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष में सरकारी कर्ज बढ़कर जीडीपी का 89.3 फीसद हो जाएगा और अगले वित्त वर्ष में घटकर 87.5 फीसद हो जाएगा। पिछले वित्त वर्ष में यह जीडीपी का 72.2 फीसद रहा था।'

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