देश की इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए अभी और कदम उठाएगी सरकारः अनुराग ठाकुर
जीएसटी परिषद की अहम बैठक में राजस्व बढ़ाने के उपायों पर चर्चा हो सकती है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अभी और कदम उठाएगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि देश की इकोनॉमी की बुनियाद मजबूत है। उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 18 दिसंबर को होने वाली अहम बैठक में कुछ और अन्य उत्पादों पर सेस (उपकर) में वृद्धि सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि कि क्षतिपूर्ति उपकर में वृद्धि की जरूरत को देखते हुए बैठक में इस विषय पर निर्णय किए जाने की संभावना है। जीएसटी परिषद की यह बैठक ऐसे समय में होने वाली है जब जीएसटी कलेक्शन अनुमान से कम रहा है।
डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) के 62वें स्थापना दिवस से इतर वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि जीएसटी परिषद 18 दिसंबर को होने वाली बैठक में जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर चर्चा करेगी।
ठाकुर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है और सरकार देश की इकोनॉमी को मजबूती देने के लिए और कदम उठाएगी।
उल्लेखनीय है कि देश की जीडीपी रफ्तार चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में घटकर 26 तिमाहियों के न्यूनतम स्तर 4.5 फीसद पर आ गई। इससे पहले 2012-13 की आखिरी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार 4.3 फीसद रही थी।
क्षतिपूर्ति से जुड़ी जरूरतों में काफी अधिक वृद्धि दर्ज की गई है और इस बात की संभावना बहुत कम है कि इसे क्षतिपूर्ति उपकर से पूरा किया जा सकता है। जीएसटी परिषद की ओर से सभी राज्यों के एसजीएसटी के आयुक्त को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों में जीएसटी एवं क्षतिपूर्ति उपकर का कम संग्रह काफी चिंताजनक है इसलिए यह चर्चा काफी अहम है।
परिषद ने राजस्व बढ़ाने के लिए इस पत्र के जरिए सुझाव, इनपुट या प्रस्ताव मांगे हैं। पत्र में कहा गया है कि सुझावों को समिति के समक्ष रखा जाएगा। वित्त मंत्री जीएसटी परिषद की प्रमुख है।
इससे पहले विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों और प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री सीतारमण से मुलाकात की और जीएसटी क्षतिपूर्ति को जारी किए जाने में देरी पर चिंता जाहिर की। मंत्रियों और प्रतिनिधियों ने कहा कि इससे उन्हें वित्तीय मोर्चे पर कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।