बाजार ने गंवाई नए साल की बढ़त, इन तीन कारणों से सेंसेक्स में आई 350 अंकों की गिरावट
चीन की अर्थव्यवस्था के कमजोर पड़ने, रुपये में आई ताजा गिरावट और कोर सेक्टर ग्रोथ में बड़ी गिरावट की वजह से बाजार की चाल बिगड़ी।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। नए साल की शुरुआत शेयर बाजार के लिए ठीक नहीं रही है। 2019 के दूसरे ट्रेडिंग डे के दौरान बाजार की कमजोर शुरुआत हुई। कमजोर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संकेतों के दबाव में बाजार बिकवाली की गिरफ्त में आ गया और सेंसेक्स करीब 520 अंक तक टूट गया।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का बेंचमार्क इंडेक्स, सेंसेक्स सुबह 56.44 अंकों की गिरावट के साथ 36,198.13 पर जबकि नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 41.25 अंकों की कमजोरी के साथ 10,868.85 पर खुला। चीन की अर्थव्यवस्था के कमजोर पड़ने, रुपये में आई ताजा गिरावट और कोर सेक्टर ग्रोथ में बड़ी गिरावट की वजह से बाजार की चाल बिगड़ी। बुधवार को सेंसेक्स 363 अंकों की गिरावट के साथ 35,891.52 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 117.60 अंक टूटकर 10,792.50 पर बंद हुआ। निफ्टी में मात्र 9 शेयर हरे निशान में जबकि 41 शेयर लाल निशान में बंद हुए।
चीनी अर्थव्यव्स्था में कमजोरी के संकेत चीनी अर्थव्यवस्था में कमजोरी के संकेत के बाद एशिया और यूरोप के बाजार लुढ़क गए। दिसंबर महीने में फैक्ट्री एक्टिविटी में पहली बार गिरावट आई है, जो दो सालों में पहली बार हुआ है। इस गिरावट ने चीनी अर्थव्यवस्था की रफ्तार को लेकर आशंकाओं को जन्म दिया है।
वैश्विक कारणों को रुपये में आई ताजा गिरावट से बल मिला। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में करीब 60 पैसे से अधिक की गिरावट आई।
कमजोर आर्थिक आंकड़ें दिसंबर महीने में कोर सेक्टर ग्रोथ में आई भारी गिरावट ने भी बाजार के सेंटीमेंट को कमजोर करने का काम किया। कच्चे तेल और फर्टिलाइजर के उत्पादन में आई गिरावट की वजह से नवंबर महीने में कोर सेक्टर का ग्रोथ रेट कम होकर 16 महीनों के निचले स्तर पर चला गया।
सोमवार को सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर महीने में कोर सेक्टर ग्रोथ रेट कम होकर 3.5 फीसद हो गया। इससे पहले जुलाई 2017 में कोर सेक्टर का ग्रोथ रेट सबसे धीमा (2.9 फीसद) रहा था। कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टिलाइजर्स, स्टील, सीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी को रखा जाता है, जिसकी आईआईपी में 41 फीसद हिस्सेदारी होती है।
कमजोर आर्थिक आंकड़ों के अलावा जीएसटी कलेक्शन में आई गिरावट ने भी बाजार की चाल को बिगाड़ दिया।
जीएसटी संग्रह में कमी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत राजस्व संग्रह में लगातार दूसरे महीने दिसंबर में गिरावट आई है। दिसंबर में सरकार को जीएसटी से 94,726 करोड़ रुपये मिले जबकि नवंबर में यह 97,637 करोड़ रुपये था। जीएसटी संग्रह अक्टूबर (सितंबर में हुए लेन-देन के) में एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया था और कुल 1,00,710 करोड़ रुपये था, जोकि नवंबर (अक्टूबर में हुए लेन-देन के लिए) में गिरकर 97,637 करोड़ रुपये रहा।
आनेवाले महीनों में राजस्व संग्रह में और गिरावट की संभावना है, क्योंकि जीएसटी परिषद ने अपनी 22 दिसंबर की बैठक में 17 सामानों और छह सेवाओं पर जीएसटी कर में कमी का फैसला लिया है, जिसमें कंप्यूटर मॉनिटर्स, टीवी स्क्रीन्स, वीडियो गेम्स, लिथियम-ऑयन पॉवर बैंक्स, रिथ्रेडेट टायर्स, व्हीलचेयर्स और सिनेमा टिकटें शामिल हैं।
यह भी पढ़ें: सस्ते होंगे निर्माणधीन फ्लैट्स और घर, GST काउंसिल की अगली बैठक में हो सकता है बड़ा ऐलान!