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लॉकडाउन की वजह से सरकार के राजस्व संग्रह पर भारी दबाव, आमदनी 45 हजार करोड़, खर्च 5.11 लाख करोड़ रुपये

वित्त वर्ष 2020-21 के पहले दो महीनों में कुल राजस्व संग्रह 45498 करोड़ रुपये का रहा है। यह राशि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजटीय अनुमान (2020-21) के मुकाबले महज 2.03 फीसद है।

By Manish MishraEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 08:52 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 06:45 PM (IST)
लॉकडाउन की वजह से सरकार के राजस्व संग्रह पर भारी दबाव, आमदनी 45 हजार करोड़, खर्च 5.11 लाख करोड़ रुपये
लॉकडाउन की वजह से सरकार के राजस्व संग्रह पर भारी दबाव, आमदनी 45 हजार करोड़, खर्च 5.11 लाख करोड़ रुपये

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोविड-19 से लड़ाई में जिस तरह से आर्थिक गतिविधियों पर लॉकडाउन हुआ है उसका असर सरकार के राजस्व पर बहुत ही उल्टा पड़ता दिख रहा है। एक तरफ से सरकार के खर्चे में भारी वृद्धि हो गई है तो दूसरी तरफ राजस्व से होने वाली आमदनी एकदम घट गई है। खास तौर पर अप्रैल और मई की स्थिति बताती है कि आने वाले दिनों में आर्थिक हालात में भारी सुधार करना होगा। वित्त वर्ष 2020-21 के पहले दो महीनों में कुल राजस्व संग्रह 45,498 करोड़ रुपये का रहा है। यह राशि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजटीय अनुमान (2020-21) के मुकाबले महज 2.03 फीसद है। 

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केंद्र सरकार की तरफ से जो आंकड़े दिए गए हैं वो बताते हैं कि जो संग्रह हुआ है उसमें से कर संग्रह के तौर पर सरकार को सिर्फ 33,850 करोड़ रुपये की राशि हासिल हुई है। इसके अलावा 10,817 करोड़ रुपये का संग्रह गैर कर मद से हुआ है। जबकि 831 करोड़ रुपये की राशि गैर ऋण प्राप्तियों मसलन कर्ज वसूली वगैरह से हुई है। सरकार की तरफ से यह भी बताया गया है कि इन दो महीनों में राज्य सरकारों को 92,077 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं।

अब एक नजर केंद्र सरकार के खर्चे पर डालते हैं। वित्त मंत्रालय की तरफ से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक इन दो महीनों में सरकार का कुल खर्चा 5,11,841 करोड़ रुपये है। यह समूचे वित्त वर्ष का 16.82 फीसद है। इसमें से 4,56,635 करोड़ रुपये रेवेन्यू खाते में है जबकि 55,206 करोड़ रुपये पूंजीगत खाते में किये गये हैं। रेवेन्यू खर्चे में से 78,265 करोड़ रुपये की राशि ब्याज भुगतान में और 67,469 करोड़ रुपये की राशि प्रमुख सब्सिडियों के तौर पर दी गई है। खर्च और राजस्व के इस अंतर की वजह से पहले दो महीनों में ही राजस्व घाटा बजटीय घाटा का 58.6 फीसद हो चुका है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक अप्रैल और मई के महीनों में लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर रहा था। आवश्यक वस्तुओं के निर्माण व ढुलाई के अलावा और किसी भी तरह की आर्थिक गतिविधियां नहीं चल रही थी। इसने राजस्व संग्रह को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। सनद रहे कि राजस्व व खर्चे के बीच इस भारी अंतर की वजह से ही अब तमाम सलाहकार यह मान रहे हैं कि चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार को राजकोषीय घाटे को एकदम तवज्जो नहीं देनी चाहिए। 

पिछले शुक्रवार को वित्त आयोग ने भी वित्त मंत्रालय को यही सलाह दिया कि अभी अर्थव्यवस्था की रफ्तार को सामान्य करने के लिए खर्चे को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने पर ध्यान देने की जरुरत है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 3.5 फीसद राजकोषीय घाटे का लक्ष्य ले कर चल रही थी। आने वाले महीनों में अगर राजस्व संग्रह में तेजी से सुधार नहीं हुआ तो राजकोषीय घाटा जीडीपी के मुकाबले 6-7 फीसद तक जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।


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