Karz Byaz Mafi पर IBA पहुंचा फाइनेंस मिनिस्ट्री के पास, जानिए बैंक अब कैसे करेंगे वसूली
Loan Moratorium News Lockdown में Loan Interest पर ब्याज छूट देने के मामले में बैंकों का संघ Indian Bank Association (IBA) फाइनेंस मिनिस्ट्री के पास पहुंच गया है। उसने हाल ही में ब्याज को लेकर दी गई छूट की भरपाई के लिए मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। Loan Moratorium News : Lockdown में Loan Interest पर ब्याज छूट देने के मामले में बैंकों का संघ Indian Bank Association (IBA) फाइनेंस मिनिस्ट्री के पास पहुंच गया है। उसने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक ब्याज के ऊपर ब्याज को लेकर दी गई छूट की भरपाई के लिए मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया है।
बीते साल मार्च से अगस्त के दौरान सरकार ने कर्जदाताओं को कर्ज की किस्त का भुगतान (Loan Moratorium) करने से छूट दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान बैंकों को कर्जदारों से ब्याज पर ब्याज की वसूली नहीं करने का आदेश दिया था। इससे बैंकों पर जो बोझ पड़ा है उसकी भरपाई के लिए IBA ने अब वित्त मंत्रालय से भरपाई करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के मार्च के फैसले में बैंकों को निर्देश दिया गया कि 2 करोड़ रुपये से अधिक के किस्त भुगतान से रोक का फायदा उठाने वाले कर्ज खातों में चक्रवृद्धि ब्याज (Compound interest) से छूट दी जानी चाहिये। इससे कम रकम के कर्ज खातों को बीते साल नवंबर में ही ब्याज पर ब्याज से छूट दी जा चुकी है।
5,500 करोड़ रुपये का बोझ
वर्ष 2020- 21 में कर्ज भुगतान पर रोक के दौरान ब्याज पर ब्याज छूट समर्थन योजना से सरकारी खजाने पर 5,500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है। यह योजना उन कर्जदारों पर भी लागू होती है जिन्होंने किस्त भुगतान पर रोक का लाभ नहीं उठाया।
बैंक अपने स्तर पर लगे
विभिन्न बैंक इस आर्डर को पूरा करने के लिए विभिन्न स्तरों पर काम में लगे हुए हैं। पंजाब एण्ड सिंध बैंक के प्रबंध निदेशक एस कृष्णन ने कहा कि ब्याज पर ब्याज से छूट के कारण बैंक पर करीब 30 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है।
छूट की भरपाई का मुद्दा
उन्होंने कहा कि इस छूट की भरपाई के मुद्दे को सरकार के समक्ष IBA द्वारा उठाया जा रहा है। वित्त मंत्रालय ने उनके आग्रह पर क्या कोई प्रतिक्रिया दी है, इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘अब तक इस बारे में कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं सुनाई दी है।’’
इनको मिला फायदा
सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस बार केवल उन्हें कर्जदारों तक सीमित है जिन्होंने किस्त भुगतान से छूट का फायदा उठाया है। इसलिये बैंकों पर पड़ने वाला बोझ 2,000 करोड़ रुपये से कम रह सकता है।
अगस्त तक बढ़ी थी रोक
रिजर्व बैंक ने बीते साल कोरोना वायरस महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण 27 मार्च को बैंकों की कर्ज किस्त के पेमेंट पर रोक लगाने की घोषणा की थी। शुरुआत में यह रोक 1 मार्च से 31 मई 2020 तक के लिए घोषित की गई जिसे बाद में आगे बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया।
ब्याज पर ब्याज कर्जदारों से न लें
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 23 मार्च को दिए गए अपने फैसले में कहा कि बीते साल छह महीने की रोक अवधि के दौरान कोई भी ब्याज पर ब्याज कर्जदारों से नहीं लिया जाएगा। अगर कोई ब्याज इस तरह का लिया गया है तो उसे रिफंड किया जाना चाहिये। हालांकि, शीर्ष अदालत ने किस्त भुगतान की रोक अवधि को 31 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाने के फैसले में किसी तरह का हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह नीतिगत निर्णय है वह इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा।