Economy में सुधार के बावजूद COVID-19 से राज्यों पर बढ़ेगा लोन का बोझ, S&P ने जतायी आशंका
वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (SP Global Ratings) ने शुक्रवार को कहा कि अगले 12-24 महीनों में Economy में सुधार के आसार हैं। अमेरिका की इस रेटिंग एजेंसी ने उम्मीद जाहिर है कि कि अगले कुछ साल में देश की विकास दर औसत से ऊपर रहेगी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने शुक्रवार को कहा कि अगले 12-24 महीनों में Economy में सुधार के आसार हैं। हालांकि, एजेंसी ने आशंका जतायी है कि इकोनॉमी में सुधार की संभावना के बावजूद कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते राज्यों के स्ट्रक्चरल डेफिसिट (Structural Deficit) और ऋणग्रस्तता की स्थिति और गंभीर हो सकती है। अमेरिका की इस रेटिंग एजेंसी ने उम्मीद जाहिर है कि कि अगले कुछ साल में देश की विकास दर औसत से ऊपर रहेगी और 31 मार्च 2022 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष (2020-21) के दौरान आर्थिक गतिविधियों (Economic Activities) की बहाली से राज्यों का राजस्व बढ़ेगा।
S&P का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-2023 के बीच राज्यों के राजस्व में सालाना औसतन 17 फीसद की बढ़ोत्तरी होगी।
एसएंडपी ने ‘पब्लिक फाइनेंस सिस्टम ओवरव्यू: इंडियन स्टेट्स’ शीर्षक रिपोर्ट में कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी भारतीय राज्य सरकारों के स्ट्रक्चरल डेफिसिट और ऋणग्रस्तता की स्थिति को खराब कर सकती है। हालांकि, समकक्ष देशों की तुलना में भारत की मजबूत वृद्धि राज्यों के राजकोषीय प्रदर्शन की स्थिरता को सहारा देने वाला एक अहम कारक रहा है।’’
इसी बीच एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने पहले ही चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को 11 फीसद से घटाकर 9.5 फीसद कर दिया है। Economic Outlook को कम करते हुए एजेंसी ने कहा कि अप्रैल और मई माह के दौरान कोविड-19 की दूसरी लहर के गंभीर प्रकोप से आर्थिक गतिविधियों में कमी आई है लेकिन अब इसमें सुधार आने लगा है।
S&P ने कहा है कि राज्यों के लिये कोविड-19 की वजह से बढ़े स्वास्थ्य खर्च को कम करना मुश्किल होगा। COVID महामारी के कारण स्वास्थ्य देखभाल, सामाजिक सुरक्षा और डिजिटल सुविधाओं पर खर्च तेजी से बढ़ा है।