एलआइसी ने शुरू की आइडीबीआइ बैंक के अधिग्रहण की प्रक्रिया
आइडीबीआइ बैंक में अभी एलआइसी की हिस्सेदारी 7.98 फीसद है। अगस्त में केंद्रीय कैबिनेट से एलआइसी को अपनी हिस्सेदारी 51 फीसद तक करने की अनुमति मिल गई थी
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकारी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) ने कर्ज में डूबे आइडीबीआइ बैंक के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आइडीबीआइ बैंक ने मंगलवार को यह जानकारी दी। बैंक ने बताया कि एलआइसी पहले चरण में बैंक की सात फीसद अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीदेगी। क्रमिक रूप से एलआइसी अपनी हिस्सेदारी को 51 फीसद तक पहुंचाएगी।
आइडीबीआइ बैंक में अभी एलआइसी की हिस्सेदारी 7.98 फीसद है। अगस्त में केंद्रीय कैबिनेट से एलआइसी को अपनी हिस्सेदारी 51 फीसद तक करने की अनुमति मिल गई थी। आइडीबीआइ बैंक को कर्ज से उबारने के लिए यह कदम उठाया गया है। बैंक ने अपनी रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया कि बैंक को एलआइसी की ओर से 28 अगस्त को पत्र मिला है। इसमें शेयर खरीद की सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है। इसके तहत एलआइसी की हिस्सेदारी 14.90 फीसद तक की जाएगी। 31 अगस्त को होने वाली बोर्ड बैठक में बैंक इस सौदे के लिए शेयरधारकों की मंजूरी लेने के प्रस्ताव पर विचार करेगा। सूत्रों का कहना है कि अधिग्रहण के पहले चरण से आइडीबीआइ बैंक को पूंजी की तत्काल जरूरत को पूरा करने में मदद मिलेगी।
शेयर बिक्री की घोषणा के बाद दिन में बैंक के शेयर पांच फीसद से ज्यादा टूट गए थे। हालांकि बाद में इसमें रिकवरी हुई और बीएसई में बैंक के शेयर 0.82 फीसद टूटकर 60.80 रुपये पर बंद हुए। आइडीबीआइ बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 85.96 फीसद है। बैंक का सकल एनपीए 57,807 करोड़ रुपये के भारी-भरकम स्तर पर पहुंच गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में बैंक को 2,409.89 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
बैंक को घाटे से उबारने के लिए एलआइसी के हाथों अधिग्रहण का फैसला लिया गया है। वर्तमान नियमों के अनुसार कोई बीमा कंपनी किसी लिस्टेड फर्म में 15 फीसद से ज्यादा की हिस्सेदारी नहीं रख सकती है। जून में बीमा नियामक इरडा की हैदराबाद में हुई बैठक में इस संबंध में एलआइसी को विशेष अनुमति दी गई थी। इसके तहत एलआइसी अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाकर 51 फीसद तक कर सकती है। इस अधिग्रहण के बाद एलआइसी बैंक की करीब 2,000 शाखाओं में अपने उत्पाद बेच सकेगी। वहीं बैंक को एलआइसी के फंड का लाभ मिलेगा। बैंक को करीब 22 करोड़ पॉलिसी धारकों का खाता संभालने का मौका भी मिलेगा।