एलआइसी-आइडीबीआइ सौदे को कैबिनेट से मिली हरी झंडी
देश में 21 सरकारी बैंकों में सबसे ज्यादा 28 प्रतिशत सकल एनपीए आइडीबीआइ बैंक का ही है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बैंकों को फंसे कर्ज की दिक्कत से निकालने और पूंजी आधार मजबूत बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रही मोदी सरकार ने आइडीबीआइ बैंक को संकट से उबारने के लिए अहम कदम उठाया है। केंद्र ने आइडीबीआइ बैंक में 51 फीसद हिस्सेदारी करने के भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इसके बाद आइडीबीआइ बैंक में केंद्र की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत से घटकर लगभग 45 प्रतिशत रह जाएगी।
देश में 21 सरकारी बैंकों में सबसे ज्यादा 28 प्रतिशत सकल एनपीए आइडीबीआइ बैंक का ही है। सरकार इससे पहले रिकैपिटलाइजेशन के जरिये भी आइडीबीआइ बैंक को भारी भरकम वित्तीय मदद दे चुकी है। कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आइडीबीआइ बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से नीचे लाने की स्वीकृति दी। गोयल ने कहा कि यह अधिग्रहण सौदा एलआइसी और आइडीबीआइ दोनों के लिए अच्छा है।
मंत्रिमंडल ने बैंक में प्रवर्तक के रूप में एलआइसी द्वारा वरीयता आवंटन (प्रिफ्रेंशियल शेयर) के ओपन ऑफर के माध्यम से नियंत्रणकारी हिस्सेदारी के अधिग्रहण पर भी मुहर लगा दी है। आइडीबीआइ नए शेयर जारी करेगी जिन्हें एलआइसी खरीदेगी। फिलहाल एलआइसी के पास आइडीबीआइ बैंक में सात से साढ़े सात प्रतिशत हिस्सेदारी है। इस तरह एलआइसी को लगभग 44 प्रतिशत हिस्सेदारी और खरीदनी होगी। एलआइसी द्वारा बैंक के अधिग्रहण से सरकार को कोई धनराशि प्राप्त नहीं होगी लेकिन बैंक को 10 हजार करोड़ रुपये से 13 हजार करोड़ रुपये तक मिलने का अनुमान है। हालांकि यह राशि बैंक के शेयर की कीमत पर निर्भर करेगी। इस बीच आइडीबीआइ बैंक का शेयर बुधवार को छह प्रतिशत बढ़ा। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर बैंक का शेयर 62.15 रुपये पर बंद हुआ।
सरकार ने यह निर्णय ऐसे समय किया है जब आइडीबीआइ बैंक का सकल एनपीए इस साल मार्च के अंत में बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया है। हाल यह है कि बैंक को फंसे कर्ज के एवज में भारी भरकम 16,142 करोड़ रुपये की प्रॉविजनिंग करनी पड़ी जिससे उसे वर्ष 2017-18 में भारी भरकम 8,238 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। सरकार का कहना है कि आइडीबीआइ के अधिग्रहण से उपभोक्ताओं, एलआइसी और बैंक तीनों को व्यापक लाभ मिलेगा। इससे एलआइसी तथा आइडीबीआइ बैंक को वित्तीय रूप से मजबूत बनने में भी मदद मिलेगी। आइडीबीआइ को जहां अपनी बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के लिए एलआइसी के 11 लाख एजेंटों की सेवाएं लेने का अवसर मिलेगा, वहीं एलआइसी को भी बैंक की 1916 शाखाओं के नेटवर्क से बीमा उत्पाद बेचने का लाभ मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि 2016 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि आइडीबीआइ बैंक में सरकार अपनी हिस्सेदारी घटाकर 50 प्रतिशत से नीचे करने के विकल्प पर विचार करेगी। इस घोषणा को ध्यान में रखते हुए एलआइसी ने आइडीबीआइ बैंक में नियंत्रणकारी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए बीमा नियामक तथा विकास प्राधिकरण (इरडा) से अनुमति मांगी थी। एलआइसी ने इरडा से मंजूरी मिलने के बाद आइडीबीआइ बैंक के 51 प्रतिशत नियंत्रणकारी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए रुचि व्यक्त की। दोनों बैंकों के बोर्ड पहले ही इस प्रस्ताव को मंजूरी दे चुके हैं।