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लंगड़ा और दशहरी ने खाड़ी देशों में पाकिस्तानी आमों को दी चुनौती, आम्रपाली व मल्लिका की भी वैश्विक बाजार में बढ़ी धमक

आम निर्यातकों ने हवाई मार्ग के बजाए समुद्री रास्ते खाड़ी देशों तक अपने आम की खेप पहुंचा दी।

By Manish MishraEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 09:04 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 09:04 AM (IST)
लंगड़ा और दशहरी ने खाड़ी देशों में पाकिस्तानी आमों को दी चुनौती, आम्रपाली व मल्लिका की भी वैश्विक बाजार में बढ़ी धमक
लंगड़ा और दशहरी ने खाड़ी देशों में पाकिस्तानी आमों को दी चुनौती, आम्रपाली व मल्लिका की भी वैश्विक बाजार में बढ़ी धमक

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दौरान जब निर्यात के लिए हवाई कार्गो सेवा बंद थी, उस समय भारतीय आम के निर्यातकों ने खास कमाल कर दिखाया। आम निर्यातकों ने हवाई मार्ग के बजाए समुद्री रास्ते खाड़ी देशों तक अपने आम की खेप पहुंचा दी। घरेलू लंगड़ा, दशहरी, मल्लिका और चौसा ने पाकिस्तान को उसके आम के परंपरागत खाड़ी देशों के बाजार में कड़ी चुनौती दी है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइएआरआइ) में आयोजित वर्चुअल राष्ट्रीय सेमिनार में वैज्ञानिकों, निर्यात एजेंसियों और आम के प्रमुख किसानों के साथ आम निर्यातकों ने भी हिस्सा लिया। 

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इस दौरान उत्तर प्रदेश मैंगो एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष नदीम सिद्दीकी ने कहा 'भारतीय आम निर्यात के रास्ते में बहुत सी बाधाएं हैं। उसे दूर कर दिया जाए तो हमारे आम की धमक वैश्विक स्तर पर बढ़ जाएगी। हवाई कार्गो से होने वाला निर्यात महंगा पड़ता है। इसीलिए कोरोना के दौरान हवाई जहाज बंद थे तो हमने समुद्री रास्ता पकड़ा और उसमे सफल रहे। नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान के आम निर्यातकों को दुबई, ओमान व सऊदी अरब जैसे प्रमुख खाड़ी देशों में कड़ी चुनौती दी।' 

पाकिस्तान को मात देने के लिए लगातार मजबूत रणनीति बनाने और निर्यात की लागत में कटौती करने की सख्त जरूरत है। आम के दूसरे निर्यातक मोहम्मद बिलाल ने बताया 'सरकारी निर्यात एजेंसियों की बड़ी चाहत यूरोपीय देशों के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्यात को बढ़ाने रहती है। इसीलिए सारे नियम व मानक उसी के तरह के बनाए जाते हैं जिससे आम के आम निर्यातकों को खासा मुश्किलें पेश आती हैं। आम की साइज, वजन और न जाने क्या-क्या। जबकि जरूरत है जहां जैसी जरूरत हो, उसके अनुरुप निर्यात किया जाना चाहिए। पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वी से निपटने के लिए लागत घटाने की जरूरत है।' 

आइएआरआइ के निदेशक व वैज्ञानिक डॉक्टर एके सिंह ने सभी पक्षकारों से जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए जिस तरह की क्वालिटी वाले आम की जरूरत है, उसके अनुरुप आम की प्रजातियां तैयार हैं। आम निर्यात में पड़ोसी पाकिस्तान से पार पाने के लिए कम मीठापन के साथ सुंदर रंग-रूप और मोटे छिलके वाले आम की प्रजातियां तैयार हो चुकी हैं। 

पूसा में तैयार प्रमुख प्रजातियों में मल्लिका, पूर्णिमा, सूर्या, प्रतिभा, श्रेष्ठा, लालिमा, पीतांबर, दीपशिखा और पूसा मनोहारी प्रमुख हैं। चर्चा के दौरान एपीडा के प्रतिनिधि का पूरा जोर यूरोपीय देशों के साथ आस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में आम निर्यात को बढ़ाने पर रहा। इन देशों में भारतीय अलफांसों, केसर, बैगनपल्ली जैसे आम की मांग है। इस दौरान आम की प्रोसेसिंग कर पल्प, ड्राई मैंगों कैंडी बनाने को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। इसमें देश विदेश के तकरीबन दो सौ लोगों ने हिस्सा लिया।


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