उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद इन्हें मिल सकती है आरबीआइ की कमान
उर्जित पटेल के त्यागपत्र के बाद आरबीआइ के वरिष्ठतम डिप्टी गवर्नर को ही गवर्नर पद का कार्यभार सौंपा जा सकता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। उर्जित पटेल के त्यागपत्र के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि उनकी जगह कौन लेगा? सूत्रों का कहना है कि फिलहाल आरबीआइ के वरिष्ठतम डिप्टी गवर्नर को ही गवर्नर पद का कार्यभार सौंपा जा सकता है। उसके बाद सरकार पूर्णकालिक गवर्नर की नियुक्ति कर देगी। आरबीआइ में इस समय चार डिप्टी गवर्नर हैं जिसमें सबसे वरिष्ठतम एन एस विश्वनाथन हैं। विश्वनाथन को 4 जुलाई 2016 को आरबीआइ का डिप्टी गवर्नर बनाया गया था। इसके बाद विरल आचार्य को 28 दिसंबर 2016, बी पी कानूनगो को 11 मार्च 2017 और एम के जैन 4 जून 2018 को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा आरबीआइ में 12 निदेशक हैं।
सूत्रों का कहना है कि सरकार किसी रिटायर नौकरशाह को आरबीआइ गवर्नर बनाने पर विचार कर सकती है। हालांकि आरबीआइ की साख को बरकरार रखने के लिए किसी अर्थशास्त्री को भी नया गवर्नर बनाने पर विचार किया जा सकता है।
आरबीआइ कानून के अनुसार अगर गवर्नर पद खाली होता है तो सरकार आरबीआइ के सेंट्रल बोर्ड की सिफारिश पर पदभार संभालने के लिए केंद्रीय बैंक के किसी अधिकारी को मुकर्रर कर सकती है। वैसे भी जब आरबीआइ गवर्नर का पद रिक्त होता है तो वरिष्ठतम डिप्टी गवर्नर को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि नया गवर्नर नियुक्त करने के लिए सरकार अभी कुछ समय तक इंतजार कर सकती है। अगर सरकार हफ्ते भर के भीतर ही किसी व्यक्ति को आरबीआइ गवर्नर नियुक्त कर देती है तो इससे यह संदेश जाएगा कि सरकार राजनीतिक रूप से इस पद पर उस व्यक्ति को काबिज करना चाहती है। ऐसे में न सिर्फ सरकार के लिए असहज स्थिति होगी बल्कि रिजर्व बैंक की साख पर भी बट्टा लगेगा।
बेहद अहम होता है आरबीआइ गवर्नर पद
हर देश का एक केंद्रीय बैंक होता है जो करेंसी नोट जारी करता है, विदेशी मुद्रा का भंडार रखता, बैंकों के लिए नियम बनाता है और विकास दर को ध्यान में रखकर महंगाई नियंत्रित रखने के लिए अपनी मौद्रिक नीति के जरिए अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों का रुख तय करता है।
हमारे देश का केंद्रीय बैंक-आरबीआइ है। इसलिए आरबीआइ की इन सब जिम्मेदारियों को निभाने में गवर्नर की अहम भूमिका होती है। आरबीआइ की स्थापना भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के जरिए हुई और एक अप्रैल 1935 से इसने काम करना शुरु किया। इस तरह आजादी से पहले ही आरबीआई वजूद में आ चुका था।